1.LUMBINI ( GOUTAM BUDHDHA JI BIRTH PALACE )
2.SALOUNI BOARDER
3.POKHRA
4.KATHMNDU
5.PASHUPATI NATH TEMPLE
6.BUDHA NEELKANTH
7.SWAYAMBHUNATH
8.VINDHYAWASINI DEVI TEMPLE
9.DEVID FALL
10.FEWA LAKE
11.BUDHDHA STUP
12.GUPTESHWAR
13.BHAKTPUR
14.MAA MANOKAMNA TEMPLE
15.JANAKPUR ( SEETA MATA BIRTH PALACE )
16.GORAKHPUR
1. FROM :- 07-05-2025 TO 16-05-2025
2. FROM :- 07-06-2025 TO 16-06-2025
3. FROM :- 19-09-2025 TO 28-09-2025
4. FROM :- 05-10-2025 TO 15-10-2025
5. FROM :- 12-11-2025 TO 22-11-2025
6. FROM :- 10-12-2025 TO 20-12-2025
7. FROM :- 24-12-2025 TO 03-01-2026
Boarding Stations:- WILL BE YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
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19500
AC2 Rate33500
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नेपाल यात्रा 2025
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1.लुंबिनी
भगवान बुद्ध का जन्मस्थान है और यह नेपाल के रूपनदेई जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है। यहाँ के बारे में कुछ प्रमुख जानकारियाँ निम्नलिखित हैं:
1. *ऐतिहासिक महत्व*
लुंबिनी वह स्थान है जहाँ 563 ईसा पूर्व में रानी महामायादेवी ने सिद्धार्थ गौतम (बाद में बुद्ध) को जन्म दिया था। यह स्थान बौद्ध धर्म के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है ।
### 2. *अशोक स्तंभ*
सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व में यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया था, जिस पर ब्राह्मी लिपि में लिखा है कि यह बुद्ध का जन्मस्थान है। इसकी खोज 1896 में हुई थी और यह नेपाल का सबसे पुराना शिलालेख माना जाता है ।
### 3. *मायादेवी मंदिर और पवित्र तालाब*
मायादेवी मंदिर वह स्थान है जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ था। इसके पास एक पवित्र तालाब है, जहाँ मान्यता है कि बुद्ध की माँ ने जन्म से पहले स्नान किया था और बुद्ध का पहला स्नान भी यहीं हुआ था ।
### 4. *अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध केंद्र*
लुंबिनी में विभिन्न बौद्ध सम्प्रदायों (थेरवाद, महायान, वज्रयान) के मंदिर, स्तूप और मठ बने हुए हैं। यहाँ एक अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान (LIRI) और संग्रहालय भी है, जहाँ बौद्ध कला और इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं ।
### 5. *तीर्थयात्रा और पर्यटन*
दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी और पर्यटक लुंबिनी आते हैं। यहाँ का माहौल शांतिपूर्ण है और लोग ध्यान व प्रार्थना के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ का बोधी वृक्ष भी आकर्षण का केंद्र है, जहाँ लोग मन्नतें माँगते हैं ।
लुंबिनी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो बौद्ध धर्म के इतिहास को समेटे हुए है।
2.सोनौली
उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले में स्थित है और भारत-नेपाल सीमा का एक व्यस्त संक्रमण बिंदु है। यह गोरखपुर से लगभग 90-100 किमी दूर है और नेपाल के भैरहवा शहर से सटा हुआ है । यहाँ से नेपाल के लिए अंतर्राष्ट्रीय यातायात होता है, विशेषकर बौद्ध तीर्थस्थल लुम्बिनी (नेपाल) जाने वाले पर्यटकों के लिए यह एक प्रवेशद्वार है ।
3.पोखरा
नेपाल का एक प्रमुख शहर और पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झीलों और हिमालयन दृश्यों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ पोखरा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
### 1. *सामान्य परिचय*
पोखरा नेपाल के गण्डकी प्रदेश में कास्की जिले में स्थित है और नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह पश्चिमांचल विकास क्षेत्र का प्रमुख केंद्र भी है। पोखरा को "झीलों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ कई सुंदर झीलें हैं, जैसे फेवा झील, रूपा ताल और बेगनास ताल ।
### 2. *भौगोलिक स्थिति*
पोखरा समुद्र तल से लगभग 822 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ से अन्नपूर्णा, धौलागिरी और माछापुच्छ्रे जैसे हिमालय के प्रसिद्ध पर्वत दिखाई देते हैं। यह शहर पोखरा घाटी में बसा हुआ है और इसका क्षेत्रफल 464.24 वर्ग किलोमीटर है ।
### 3. *पर्यटन आकर्षण*
पोखरा में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- *फेवा झील*: यह नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जिसमें अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला का प्रतिबिंब दिखाई देता है ।
- *शांति स्तूप (पीस पगोडा)*: यह अनाडू पर्वत पर स्थित है और फेवा झील का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है ।
- *डेविस फॉल*: एक भूमिगत झरना जो 500 मीटर लंबी सुरंग बनाता है ।
- *सारंगकोट*: यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखता है ।
- *ताल बराही मंदिर*: फेवा झील के बीच स्थित यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है ।
### 4. *शिक्षा और स्वास्थ्य*
पोखरा पश्चिम नेपाल का शिक्षा और स्वास्थ्य केंद्र भी है। यहाँ पोखरा विश्वविद्यालय, पृथ्वीनारायण कैंपस, मणिपाल मेडिकल कॉलेज और पश्चिमांचल क्षेत्रीय अस्पताल जैसे प्रमुख संस्थान स्थित हैं ।
### 5. *यातायात और संचार*
पोखरा नेपाल के अन्य शहरों से सड़क और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ का आंतरिक विमानस्थल काठमांडू, भरतपुर और जोमसोम के लिए उड़ानें प्रदान करता है। साथ ही, पोखरा से दिल्ली तक सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है ।
### 6. *संस्कृति और जनजीवन*
पोखरा में विविध जातीय समूहों जैसे बहुन, गुरुंग, छेत्री, मगर और नेवार का निवास है। यहाँ नेपाली भाषा प्रमुख है, लेकिन अन्य स्थानीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं ।
### 7. *अर्थव्यवस्था*
पोखरा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन, कृषि और सेवा क्षेत्र पर आधारित है। यहाँ आने वाले पर्यटक स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देते हैं ।
### निष्कर्ष
पोखरा नेपाल का एक ऐसा शहर है जो प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यहाँ की शांत झीलें, ऊँचे पहाड़ और हरियाली पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
4.काठमांडू
नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है, जो काठमांडू घाटी में 1,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह देश का सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक केंद्र है, जहाँ 1.5 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। शहर का इतिहास 2,000 वर्ष से अधिक पुराना है, और यह न्यूार समुदाय की समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
### प्रमुख विशेषताएँ:
1. *ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल*:
- *पशुपतिनाथ मंदिर*: हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल, बागमती नदी के किनारे।
- *बौद्धनाथ स्तूप*: विश्व का सबसे बड़ा स्तूप, बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र।
- *स्वयंभूनाथ*: "मंकी टेम्पल" के नाम से जाना जाने वाला प्राचीन बौद्ध स्थल।
- *दरबार स्क्वायर*: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, मल्ल राजाओं के महलों और मंदिरों का समूह।
2. *भौगोलिक और प्राकृतिक सुंदरता*:
- हिमालय की तलहटी में बसा, शिवपुरी और चंद्रगिरी पहाड़ियों से घिरा।
- आसपास ट्रेकिंग और प्राकृतिक स्थल जैसे नागार्जुन और फुलचोकी लोकप्रिय हैं।
3. *जीवनशैली और संस्कृति*:
- न्यूार, तमांग, शेरपा और अन्य जातियों का मिश्रण, जो त्योहारों जैसे दशैं, तिहार और इंद्रजात्रा में दिखता है।
- पारंपरिक हस्तकला, थांका चित्रकला और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध।
4. *आधुनिक काठमांडू*:
- थमेल क्षेत्र पर्यटकों के लिए लोकप्रिय, जहाँ होटल, रेस्तरां और दुकानें हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र, त्रिभुवन विश्वविद्यालय और प्रमुख अस्पतालों के साथ।
### चुनौतियाँ:
- 2015 के भूकंप ने कई ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुँचाया, जिनका पुनर्निर्माण जारी है।
- बढ़ती आबादी के कारण ट्रैफिक, प्रदूषण और बुनियादी ढांचे पर दबाव।
काठमांडू एक जीवंत शहर है, जो प्राचीन परंपराओं और आधुनिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
5.पशुपतिनाथ मंदिर
नेपाल के काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और नेपाल का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
*मुख्य विशेषताएं:*
- *निर्माण और इतिहास*: मंदिर का वर्तमान स्वरूप 17वीं शताब्दी में बनाया गया, हालांकि इसका मूल अस्तित्व 5वीं शताब्दी से माना जाता है। यह पशुपति (शिव का एक रूप) को समर्पित है, जिसका अर्थ है "पशुओं का स्वामी"।
- *वास्तुकला*: मंदिर पागोडा शैली में बना है, जिसमें सोने से मढ़ा हुआ छत और चांदी के द्वार हैं। मुख्य मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं, और इसमें एक चतुर्मुखी शिवलिंग स्थापित है।
- *धार्मिक महत्व*: यह शैव धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- *बागमती नदी*: नदी के किनारे होने के कारण यह अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- *प्रमुख उत्सव*: महाशिवरात्रि के दौरान यहां लाखों भक्त जुटते हैं। तीज और एकादशी जैसे अन्य त्योहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
- *प्रवेश*: मंदिर परिसर में केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है, लेकिन गैर-हिंदू पर्यटक बाहरी क्षेत्रों से मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
*रोचक तथ्य*:
- मंदिर परिसर में सैकड़ों छोटे मंदिर और मूर्तियां हैं।
- यहां रहने वाले बंदर मंदिर की एक विशेषता हैं।
- पशुपतिनाथ को नेपाल का राष्ट्रीय देवता भी माना जाता है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
6.जनकपुर
नेपाल के धनुषा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है, जो मिथिला क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है। इसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि यह देवी सीता (जानकी) का जन्मस्थान माना जाता है, जो रामायण में भगवान राम की पत्नी हैं। यहाँ का प्रमुख आकर्षण *जानकी मंदिर* है, जो सीता को समर्पित है और नेपाल के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी मिथिला कला को दर्शाती है।
### प्रमुख विशेषताएँ:
1. *धार्मिक महत्व: जनकपुर को "मिथिला की राजधानी" भी कहा जाता है। यहाँ हर साल **विवाह पंचमी* उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, जो राम और सीता के विवाह का प्रतीक है।
2. *मिथिला संस्कृति*: जनकपुर मिथिला कला और संस्कृति का केंद्र है। मिथिला पेंटिंग्स (मधुबनी चित्रकला) यहाँ की विशेषता है।
3. *अन्य दर्शनीय स्थल*:
- *राम मंदिर*: भगवान राम को समर्पित।
- *धनुष सागर*: एक पवित्र तालाब, जो तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- *गंगा सागर*: एक और प्रसिद्ध तालाब।
4. *सांस्कृतिक उत्सव*: होली, दीपावली, और छठ पूजा यहाँ बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।
### आधुनिक परिप्रेक्ष्य:
जनकपुर नेपाल का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है। यह भारत के साथ सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से निकट है, विशेष रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से। यहाँ का *जनकपुर हवाई अड्डा* और रेलवे स्टेशन इसे देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
### रोचक तथ्य:
- जनकपुर को प्राचीन काल में राजा जनक की राजधानी माना जाता था।
- यहाँ की मिथिला संस्कृति भारत और नेपाल दोनों में प्रसिद्ध है।
7.गोरखपुर
उत्तर प्रदेश, भारत का एक प्रमुख शहर है, जो राप्ती नदी के किनारे बसा है। यह शहर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गोरखपुर का नाम गुरु गोरखनाथ, नाथ संप्रदाय के संस्थापक, के नाम पर पड़ा है। यह शहर गोरखनाथ मंदिर के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
### गोरखपुर के बारे में
- *स्थान*: गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित है और नेपाल सीमा के निकट है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है।
- *ऐतिहासिक महत्व*: गोरखपुर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है। यह मौर्य, शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्यों के समय में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा।
- *आधुनिक महत्व*: गोरखपुर एक…
- *आधुनिक महत्व*: गोरखपुर आज एक प्रमुख रेलवे जंक्शन, शैक्षिक केंद्र और व्यापारिक केंद्र है। यहाँ गोरखपुर विश्वविद्यालय और कई अन्य शैक्षिक संस्थान हैं। यह क्षेत्र कृषि, विशेष रूप से गन्ना और आम के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।
- *परिवहन*: गोरखपुर रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्वी रेलवे का मुख्यालय है और यह शहर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। यहाँ एक हवाई अड्डा भी है, जो दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों से जुड़ा है।
- *संस्कृति*: गोरखपुर में भोजपुरी संस्कृति का प्रभाव प्रमुख है। यहाँ होली, दीवाली, रामनवमी, और नाथ संप्रदाय से जुड़े उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं।
### गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर गुरु गोरखनाथ को समर्पित है, जिन्हें 11वीं शताब्दी के योगी और नाथ संप्रदाय के संस्थापक माना जाता है।
- *इतिहास*: मंदिर का निर्माण गोरखनाथ के शिष्यों द्वारा शुरू किया गया था और यह समय के साथ विस्तारित हुआ। वर्तमान संरचना आधुनिक काल में और विकसित की गई है।
- *विशेषताएँ*:
- मंदिर परिसर में गोरखनाथ की समाधि, ध्यान कक्ष, और कई छोटे मंदिर हैं।
- यहाँ गुरु गोरखनाथ की मूर्ति और उनके चरण-चिह्न (पादुका) पूजे जाते हैं।
- मंदिर में योग और ध्यान के लिए विशेष स्थान हैं, जो नाथ संप्रदाय की परंपराओं को दर्शाते हैं।
- *उत्सव*:
- *मकर संक्रांति*: इस अवसर पर मंदिर में विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसे "खिचड़ी मेला" भी कहते हैं, क्योंकि भक्त खिचड़ी चढ़ाते हैं।
- *नवरात्रि और रामनवमी*: इन त्योहारों पर विशेष पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं।
- *महत्व*: गोरखनाथ मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह गोरखपुर के सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है और नाथ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए तीर्थ स्थल है। मंदिर ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय है।
- *विशेष जानकारी*: मंदिर के महंत (प्रमुख पुजारी) का क्षेत्र में काफी प्रभाव है। वर्तमान में योगी आदित्यनाथ, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, इस मंदिर के महंत हैं, जिसने मंदिर को और अधिक प्रमुखता दी है।
### अन्य दर्शनीय स्थल
- *रामगढ़ ताल*: गोरखपुर में एक बड़ा और सुंदर झील, जो पर्यटन और जल क्रीड़ा के लिए लोकप्रिय है।
- *कुशीनगर*: गोरखपुर से लगभग 50 किमी दूर, यह बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था।
- *विनोद वन*: एक चिड़ियाघर और पार्क, जो परिवारों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- *गीता प्रेस*: विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थान, जो हिंदू धार्मिक ग्रंथों, विशेष रूप से भगवद्गीता, को प्रकाशित करता है।
### निष्कर्ष
गोरखपुर और गोरखनाथ मंदिर दोनों ही उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं। गोरखपुर एक जीवंत शहर है, जो आधुनिकता और परंपरा का संगम है, जबकि गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिकता और सामाजिक कार्यों का केंद्र है। यहाँ का माहौल भक्ति, योग और सामुदायिक एकता से भरा है, जो इसे देश भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है।
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1.लुंबिनी
भगवान बुद्ध का जन्मस्थान है और यह नेपाल के रूपनदेई जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है। यहाँ के बारे में कुछ प्रमुख जानकारियाँ निम्नलिखित हैं:
1. *ऐतिहासिक महत्व*
लुंबिनी वह स्थान है जहाँ 563 ईसा पूर्व में रानी महामायादेवी ने सिद्धार्थ गौतम (बाद में बुद्ध) को जन्म दिया था। यह स्थान बौद्ध धर्म के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है ।
### 2. *अशोक स्तंभ*
सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व में यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया था, जिस पर ब्राह्मी लिपि में लिखा है कि यह बुद्ध का जन्मस्थान है। इसकी खोज 1896 में हुई थी और यह नेपाल का सबसे पुराना शिलालेख माना जाता है ।
### 3. *मायादेवी मंदिर और पवित्र तालाब*
मायादेवी मंदिर वह स्थान है जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ था। इसके पास एक पवित्र तालाब है, जहाँ मान्यता है कि बुद्ध की माँ ने जन्म से पहले स्नान किया था और बुद्ध का पहला स्नान भी यहीं हुआ था ।
### 4. *अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध केंद्र*
लुंबिनी में विभिन्न बौद्ध सम्प्रदायों (थेरवाद, महायान, वज्रयान) के मंदिर, स्तूप और मठ बने हुए हैं। यहाँ एक अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान (LIRI) और संग्रहालय भी है, जहाँ बौद्ध कला और इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं ।
### 5. *तीर्थयात्रा और पर्यटन*
दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी और पर्यटक लुंबिनी आते हैं। यहाँ का माहौल शांतिपूर्ण है और लोग ध्यान व प्रार्थना के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ का बोधी वृक्ष भी आकर्षण का केंद्र है, जहाँ लोग मन्नतें माँगते हैं ।
लुंबिनी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो बौद्ध धर्म के इतिहास को समेटे हुए है।
2.सोनौली
उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले में स्थित है और भारत-नेपाल सीमा का एक व्यस्त संक्रमण बिंदु है। यह गोरखपुर से लगभग 90-100 किमी दूर है और नेपाल के भैरहवा शहर से सटा हुआ है । यहाँ से नेपाल के लिए अंतर्राष्ट्रीय यातायात होता है, विशेषकर बौद्ध तीर्थस्थल लुम्बिनी (नेपाल) जाने वाले पर्यटकों के लिए यह एक प्रवेशद्वार है ।
3.पोखरा
नेपाल का एक प्रमुख शहर और पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झीलों और हिमालयन दृश्यों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ पोखरा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
### 1. *सामान्य परिचय*
पोखरा नेपाल के गण्डकी प्रदेश में कास्की जिले में स्थित है और नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह पश्चिमांचल विकास क्षेत्र का प्रमुख केंद्र भी है। पोखरा को "झीलों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ कई सुंदर झीलें हैं, जैसे फेवा झील, रूपा ताल और बेगनास ताल ।
### 2. *भौगोलिक स्थिति*
पोखरा समुद्र तल से लगभग 822 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ से अन्नपूर्णा, धौलागिरी और माछापुच्छ्रे जैसे हिमालय के प्रसिद्ध पर्वत दिखाई देते हैं। यह शहर पोखरा घाटी में बसा हुआ है और इसका क्षेत्रफल 464.24 वर्ग किलोमीटर है ।
### 3. *पर्यटन आकर्षण*
पोखरा में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- *फेवा झील*: यह नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जिसमें अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला का प्रतिबिंब दिखाई देता है ।
- *शांति स्तूप (पीस पगोडा)*: यह अनाडू पर्वत पर स्थित है और फेवा झील का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है ।
- *डेविस फॉल*: एक भूमिगत झरना जो 500 मीटर लंबी सुरंग बनाता है ।
- *सारंगकोट*: यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखता है ।
- *ताल बराही मंदिर*: फेवा झील के बीच स्थित यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है ।
### 4. *शिक्षा और स्वास्थ्य*
पोखरा पश्चिम नेपाल का शिक्षा और स्वास्थ्य केंद्र भी है। यहाँ पोखरा विश्वविद्यालय, पृथ्वीनारायण कैंपस, मणिपाल मेडिकल कॉलेज और पश्चिमांचल क्षेत्रीय अस्पताल जैसे प्रमुख संस्थान स्थित हैं ।
### 5. *यातायात और संचार*
पोखरा नेपाल के अन्य शहरों से सड़क और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ का आंतरिक विमानस्थल काठमांडू, भरतपुर और जोमसोम के लिए उड़ानें प्रदान करता है। साथ ही, पोखरा से दिल्ली तक सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है ।
### 6. *संस्कृति और जनजीवन*
पोखरा में विविध जातीय समूहों जैसे बहुन, गुरुंग, छेत्री, मगर और नेवार का निवास है। यहाँ नेपाली भाषा प्रमुख है, लेकिन अन्य स्थानीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं ।
### 7. *अर्थव्यवस्था*
पोखरा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन, कृषि और सेवा क्षेत्र पर आधारित है। यहाँ आने वाले पर्यटक स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देते हैं ।
### निष्कर्ष
पोखरा नेपाल का एक ऐसा शहर है जो प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यहाँ की शांत झीलें, ऊँचे पहाड़ और हरियाली पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
4.काठमांडू
नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है, जो काठमांडू घाटी में 1,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह देश का सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक केंद्र है, जहाँ 1.5 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। शहर का इतिहास 2,000 वर्ष से अधिक पुराना है, और यह न्यूार समुदाय की समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
### प्रमुख विशेषताएँ:
1. *ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल*:
- *पशुपतिनाथ मंदिर*: हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल, बागमती नदी के किनारे।
- *बौद्धनाथ स्तूप*: विश्व का सबसे बड़ा स्तूप, बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र।
- *स्वयंभूनाथ*: "मंकी टेम्पल" के नाम से जाना जाने वाला प्राचीन बौद्ध स्थल।
- *दरबार स्क्वायर*: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, मल्ल राजाओं के महलों और मंदिरों का समूह।
2. *भौगोलिक और प्राकृतिक सुंदरता*:
- हिमालय की तलहटी में बसा, शिवपुरी और चंद्रगिरी पहाड़ियों से घिरा।
- आसपास ट्रेकिंग और प्राकृतिक स्थल जैसे नागार्जुन और फुलचोकी लोकप्रिय हैं।
3. *जीवनशैली और संस्कृति*:
- न्यूार, तमांग, शेरपा और अन्य जातियों का मिश्रण, जो त्योहारों जैसे दशैं, तिहार और इंद्रजात्रा में दिखता है।
- पारंपरिक हस्तकला, थांका चित्रकला और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध।
4. *आधुनिक काठमांडू*:
- थमेल क्षेत्र पर्यटकों के लिए लोकप्रिय, जहाँ होटल, रेस्तरां और दुकानें हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र, त्रिभुवन विश्वविद्यालय और प्रमुख अस्पतालों के साथ।
### चुनौतियाँ:
- 2015 के भूकंप ने कई ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुँचाया, जिनका पुनर्निर्माण जारी है।
- बढ़ती आबादी के कारण ट्रैफिक, प्रदूषण और बुनियादी ढांचे पर दबाव।
काठमांडू एक जीवंत शहर है, जो प्राचीन परंपराओं और आधुनिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
5.पशुपतिनाथ मंदिर
नेपाल के काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और नेपाल का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
*मुख्य विशेषताएं:*
- *निर्माण और इतिहास*: मंदिर का वर्तमान स्वरूप 17वीं शताब्दी में बनाया गया, हालांकि इसका मूल अस्तित्व 5वीं शताब्दी से माना जाता है। यह पशुपति (शिव का एक रूप) को समर्पित है, जिसका अर्थ है "पशुओं का स्वामी"।
- *वास्तुकला*: मंदिर पागोडा शैली में बना है, जिसमें सोने से मढ़ा हुआ छत और चांदी के द्वार हैं। मुख्य मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं, और इसमें एक चतुर्मुखी शिवलिंग स्थापित है।
- *धार्मिक महत्व*: यह शैव धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- *बागमती नदी*: नदी के किनारे होने के कारण यह अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- *प्रमुख उत्सव*: महाशिवरात्रि के दौरान यहां लाखों भक्त जुटते हैं। तीज और एकादशी जैसे अन्य त्योहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
- *प्रवेश*: मंदिर परिसर में केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है, लेकिन गैर-हिंदू पर्यटक बाहरी क्षेत्रों से मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
*रोचक तथ्य*:
- मंदिर परिसर में सैकड़ों छोटे मंदिर और मूर्तियां हैं।
- यहां रहने वाले बंदर मंदिर की एक विशेषता हैं।
- पशुपतिनाथ को नेपाल का राष्ट्रीय देवता भी माना जाता है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
6.जनकपुर
नेपाल के धनुषा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है, जो मिथिला क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है। इसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि यह देवी सीता (जानकी) का जन्मस्थान माना जाता है, जो रामायण में भगवान राम की पत्नी हैं। यहाँ का प्रमुख आकर्षण *जानकी मंदिर* है, जो सीता को समर्पित है और नेपाल के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी मिथिला कला को दर्शाती है।
### प्रमुख विशेषताएँ:
1. *धार्मिक महत्व: जनकपुर को "मिथिला की राजधानी" भी कहा जाता है। यहाँ हर साल **विवाह पंचमी* उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, जो राम और सीता के विवाह का प्रतीक है।
2. *मिथिला संस्कृति*: जनकपुर मिथिला कला और संस्कृति का केंद्र है। मिथिला पेंटिंग्स (मधुबनी चित्रकला) यहाँ की विशेषता है।
3. *अन्य दर्शनीय स्थल*:
- *राम मंदिर*: भगवान राम को समर्पित।
- *धनुष सागर*: एक पवित्र तालाब, जो तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- *गंगा सागर*: एक और प्रसिद्ध तालाब।
4. *सांस्कृतिक उत्सव*: होली, दीपावली, और छठ पूजा यहाँ बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।
### आधुनिक परिप्रेक्ष्य:
जनकपुर नेपाल का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है। यह भारत के साथ सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से निकट है, विशेष रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र से। यहाँ का *जनकपुर हवाई अड्डा* और रेलवे स्टेशन इसे देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
### रोचक तथ्य:
- जनकपुर को प्राचीन काल में राजा जनक की राजधानी माना जाता था।
- यहाँ की मिथिला संस्कृति भारत और नेपाल दोनों में प्रसिद्ध है।
7.गोरखपुर
उत्तर प्रदेश, भारत का एक प्रमुख शहर है, जो राप्ती नदी के किनारे बसा है। यह शहर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गोरखपुर का नाम गुरु गोरखनाथ, नाथ संप्रदाय के संस्थापक, के नाम पर पड़ा है। यह शहर गोरखनाथ मंदिर के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
### गोरखपुर के बारे में
- *स्थान*: गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित है और नेपाल सीमा के निकट है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है।
- *ऐतिहासिक महत्व*: गोरखपुर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है। यह मौर्य, शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्यों के समय में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा।
- *आधुनिक महत्व*: गोरखपुर एक…
- *आधुनिक महत्व*: गोरखपुर आज एक प्रमुख रेलवे जंक्शन, शैक्षिक केंद्र और व्यापारिक केंद्र है। यहाँ गोरखपुर विश्वविद्यालय और कई अन्य शैक्षिक संस्थान हैं। यह क्षेत्र कृषि, विशेष रूप से गन्ना और आम के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।
- *परिवहन*: गोरखपुर रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्वी रेलवे का मुख्यालय है और यह शहर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। यहाँ एक हवाई अड्डा भी है, जो दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों से जुड़ा है।
- *संस्कृति*: गोरखपुर में भोजपुरी संस्कृति का प्रभाव प्रमुख है। यहाँ होली, दीवाली, रामनवमी, और नाथ संप्रदाय से जुड़े उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं।
### गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर गुरु गोरखनाथ को समर्पित है, जिन्हें 11वीं शताब्दी के योगी और नाथ संप्रदाय के संस्थापक माना जाता है।
- *इतिहास*: मंदिर का निर्माण गोरखनाथ के शिष्यों द्वारा शुरू किया गया था और यह समय के साथ विस्तारित हुआ। वर्तमान संरचना आधुनिक काल में और विकसित की गई है।
- *विशेषताएँ*:
- मंदिर परिसर में गोरखनाथ की समाधि, ध्यान कक्ष, और कई छोटे मंदिर हैं।
- यहाँ गुरु गोरखनाथ की मूर्ति और उनके चरण-चिह्न (पादुका) पूजे जाते हैं।
- मंदिर में योग और ध्यान के लिए विशेष स्थान हैं, जो नाथ संप्रदाय की परंपराओं को दर्शाते हैं।
- *उत्सव*:
- *मकर संक्रांति*: इस अवसर पर मंदिर में विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसे "खिचड़ी मेला" भी कहते हैं, क्योंकि भक्त खिचड़ी चढ़ाते हैं।
- *नवरात्रि और रामनवमी*: इन त्योहारों पर विशेष पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं।
- *महत्व*: गोरखनाथ मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह गोरखपुर के सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है और नाथ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए तीर्थ स्थल है। मंदिर ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय है।
- *विशेष जानकारी*: मंदिर के महंत (प्रमुख पुजारी) का क्षेत्र में काफी प्रभाव है। वर्तमान में योगी आदित्यनाथ, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, इस मंदिर के महंत हैं, जिसने मंदिर को और अधिक प्रमुखता दी है।
### अन्य दर्शनीय स्थल
- *रामगढ़ ताल*: गोरखपुर में एक बड़ा और सुंदर झील, जो पर्यटन और जल क्रीड़ा के लिए लोकप्रिय है।
- *कुशीनगर*: गोरखपुर से लगभग 50 किमी दूर, यह बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था।
- *विनोद वन*: एक चिड़ियाघर और पार्क, जो परिवारों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- *गीता प्रेस*: विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थान, जो हिंदू धार्मिक ग्रंथों, विशेष रूप से भगवद्गीता, को प्रकाशित करता है।
### निष्कर्ष
गोरखपुर और गोरखनाथ मंदिर दोनों ही उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं। गोरखपुर एक जीवंत शहर है, जो आधुनिकता और परंपरा का संगम है, जबकि गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिकता और सामाजिक कार्यों का केंद्र है। यहाँ का माहौल भक्ति, योग और सामुदायिक एकता से भरा है, जो इसे देश भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है।
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9. अ) 3 से 8 वर्ष की उम्र में बच्चों का सहयोग राशि 50% जो कुल राशि से देना होगा तथा शयन वर्थ आबंटित नहीं की जावेगी।
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ब) 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों का आयु के प्रमाण पत्र के फोटो जमा करना अनिवार्य है अन्यथा पूरा टिकट लगेगा।
10. जिस यात्री का आरक्षण होगा वही यात्री यात्रा कर सकता है। उसके स्थान पर कोई भी दूसरा व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकता यात्रा पूर्णतः पूर्व निर्धारित रहेगी 1.
यात्रा के दौरान मांस, मंदिरा, धूम्रपान का सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उपरोक्त वस्तुओं का सेवन करते पाये जाने पर आपकी यात्रा वहीं निरस्त कर दी जावेगी।
12. सभी यात्री अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा जान माल की हिफाजत के लिये स्वयं जिम्मेदार रहेंगे, यात्रा के दौरान किसी भी तरह की आकस्मिक
दुर्घटना या नुकसान के लिए समिति जिम्मेदार नहीं होगी।
13. अपरिहार्य कारणों से यात्रा कार्यक्रम में परिवर्तन किया जा सकता है। उसमें आपको सहयोग प्रदान करना रहेगा।
14. टी बी शुगर ब्लडप्रेशर हदय रोग या अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अकेले सफर न करें। साधारणत, अपनी दवाईयों साथ रखें।
बीच में किसी भी प्रकार कि (स्वास्थ्य सबंधी) समस्या आने पर समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी इसके लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।
यात्रा में सम्मिलित होने के पूर्व स्वास्थ्य संबंधी चेकअप डॉक्टर से अवश्य करा लेवें ये आपकी स्वंय की जवाबदारी रहेगी।
15. 60 से अधिक आयु के यात्री के साथ पारिवारिक यात्री सदस्य का होना अनिवार्य है। यात्रा करते समय आप चाहे तो यात्रा बीमा करवा सकते है।
उसकी राशि आपको स्वंय को वहन करनी होगी।
16. किसी भी प्रकार की विवादपूर्ण परिस्थितियों में हमें आप का सहयोग चाहिये और जो निर्णय समिति लेगी वह अंतिम व सर्वमान्य होगा।
17. समिति द्वारा दी गई समय सारिणी के 1 घंटा पूर्व आपको रेल्वे स्टेशन में उपलब्ध रहकर अपनी उपस्थिति अपने कोच प्रभारी को देना होगा।
अन्यथा समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगीं यदि स्टेशन से ट्रेन छूट जाती है, तो अगले स्टेशन में यात्री अपने सुविधानुसार यात्रा में शामिल हो सकता है।
यदि ऐसा नहीं हो सकता है लो समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगी। 18. यह ट्रेन आपकी है कृपया करके हमें सहयोग प्रदान करें। आप जो
समिति का राशि दे रहें है। उसके एवज में आपको ट्रेन भोजन की व्यवस्था बस की व्यवस्था व आपकी
सेवा समिति दे रहीं है कृपया करके आप भी हमें सहयोग प्रदान करें। 19. यात्रियों से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान शांति सौहाद्रपूर्ण एवं भक्तिमय,
भाई चारा वातावरण निर्मित कर यात्रा करें। जिससे यात्रा आनंदमय हो और आप आनंदित रहे।
20 रेल्वे प्रबंधन द्वारा हमारी समिति को 2 घंटे पूर्व ही यात्रा ट्रेन हमें प्रदान करती है जिससे हमारे समिति को ट्रेन में बिजली व पंखें पानी की स्थिति से हमें अनभिज्ञ रहते हैं
अतः यात्रा के दौरान कोई समस्या आती है तो कृपया संयम से काम लेवें इसमें समिति की किसी प्रकार की गलती नहीं रहती।
आपका समस्या का समाधान जल्द समिति द्वारा पूर्ण प्रयास किया जायेगा।
21. सभी श्रद्धालुओं को ट्रेन में बैठने के पश्चात् ही चाय नाश्ते की व्यवस्था करायी जावेगी।
22. यात्रा के दौरान ट्रेन में वैष्णव भोजन की व्यवस्था रहती है।
23. सभी यात्री को बैच रखना अनिवार्य है बैच गुमने पर संस्था से 200 रुपयें दूसरा बैच बनवा लें।
अन्यथा चेकिंग के दौरान बैच नहीं मिलने पर 300 रुपये समिति द्वारा
जुर्माना लिया जावेगा।
24. सभी भक्तजनों को हमारी समिति द्वारा सूचित किया जाता है कि भगवान के दर्शन के समय पूरा ध्यान केवल भगवान के श्री विग्रह (मूर्ति) पर ही लगायें।
जिससे दर्शन हो इसमें समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी।
25. श्री केदार तीर्थ यात्रा सेवा समिति कोरबा जानकारी हमें विज्ञापन व इष्ट मित्रों परिवार के सदस्य अन्य व्यक्ति के माध्यम से प्राप्त हुआ है,
अन्य यात्रा सेवा समिति इसमें किसी भी प्रकार से दावा आपत्ति नहीं कर सकती है।
26. यदि किसी भी यात्री द्वारा चेन पुलिंग किया जाता है तो आर'पी' एफ' द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही उस यात्री पर करता है तो उसमें
समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी कृपया करके इन सावधानियों को ध्यान देवें।
27. समिति 2 या 3 कि. मी. की दूरी के धर्मशाला या मंदिर में रहनें पर वाहनों की व्यवस्था नहीं करेगी। आप अपने स्वयं की व्यवस्था से
मंदिर दर्शन करेंगे व स्टेशन धर्मशाला पहुंचेंगे। समिति के सदस्य मंदिर तक आपके साथ में रहेंगे।
28. समिति ट्रेन व स्टेशनों (तीर्थ स्थलों) को बदल सकती है किसी भी कारण वश आप उसके लिये दावा आपत्ति नहीं कर सकतें ।
29. समिति द्वारा आप सभी भक्तजनों को मंदिर द्वारा या तीर्थ स्थल तक ले जाया जावेगा। किसी कारणवश कोई भक्तजन दशर्न से वंचित रहते है तो
समिति इसके लिये जवाबदार नहीं रहेगी !
30. यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा, रोड का बंद हो जाना, ट्रेन कैसिल, राजनितिक व प्रसाशनिक कारणों से यात्रा अवरूध हो जाती है
उस परिस्थिती में यात्रीगण अपने होटल, लॉज और खाने में जो व्यय होगा उन्हे स्वयं करना होगा। यात्रा की अवधि या ट्रेन कैंसल की स्थिति में
अतिरिक्त राशि आप से ली जा सकती है। जब यह समस्या निर्मीत होगी ।
31. समिति स्पेशल ट्रेन / कोच के लिये रेलवे में आवेदन करती है। परन्तु किसी कारण वश रेलवे स्पेशल ट्रेन / कोच उपलब्ध नही करापाती है तो उस स्थिति अनुसार आपको रिजर्वेशन कोच में यात्रा करनी रहेगी। आप सहमति पर ही बुकिंग करायें ।
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