1.TIRUPATI BALAJI
2.RAMESHWARAM
3.KANYAKUMARI
4.MAA MINAKSHI DEVI TEMPLE [ MADURAI ]
5.SUDHESHWAR SHIVA TEMPLE
6.MALLIKARJUN
7.TRIVENDRAM [ SHREE PADMANABH SWAMI TEMPLE ]
8.KOVLAM BEACH
1. FROM :- 04-05-2025 TO 14-05-2025
2. FROM :- 07-09-2025 TO 17-09-2025
3. FROM :- 05-10-2025 TO 15-10-2025
4. FROM :- 07-11-2025 TO 17-11-2025
5. FROM :- 21-12-2025 TO 31-12-2025
:- Will BE YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
BILASPUR JN (08.15), BHATAPARA (08.55), RAIPUR JN (10.00), DURG (11.00), RAJ NANDGAON (11.21), DONGARGARH (11.46)
:- YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
DONGARGARH (22.10), RAJ NANDGAON (22.30), DURG (23.40), RAIPUR JN (00.20), BHATAPARA JN (01.13), BILASPUR JN (02.20), AKALTARA(02:57), JANJGIR NAILA (03.12), CHAMPA (03.33), KORBA (04.30)
:- WILL BE YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
TRAIN NO. 22619 BSP TEN EXPRESS
TRAIN NO.17481 BSP,TPTY EXPRESS
TRAIN NO.22815 BSP ERS SF EXPRESS
Drop Train:- YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
12251 WAINGANGA EXPRESS
TRAIN NO. 22620 TEN BSP EXPRESS
TRAIN NO.17482 TPTY BSP EXPRESS
TRAIN NO.22816 ERS BSP SF EXPRESS
Sleeper Rate19500
AC2 Rate36500
AC3 Rate30500
Flight Rate48500
रामेश्वरम धाम यात्रा 2025
🌞🌺🔱🌏🔱🌺🌞
केदार तीर्थ यात्रा आपको रामेश्वरम धाम ( दक्षिण भारत ) यात्रा के लिए विश्वसनीय,
सुव्यवस्थित और आध्यात्मिक सेवाएं प्रदान करता है।
1.तिरुपति बालाजी,
जिन्हें भगवान वेंकटेश्वर, गोविंदा या श्रीनिवास के नाम से भी जाना जाता है,
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित हैं। यह स्थान हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
यहाँ तिरुपति बालाजी मंदिर का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
1. मंदिर का नाम
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (Shri Venkateswara Swamy Temple)
2. स्थान
तिरुमला, जिला तिरुपति, राज्य आंध्र प्रदेश, भारत।
3. भगवान कौन हैं?
भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। वे कलियुग में भक्तों के दुख हरने वाले देवता माने जाते हैं।
4. विशेषता
यह मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।
रोज़ लाखों की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
यहाँ मुंडन (बाल चढ़ाने की परंपरा) विशेष महत्व रखती है।
भगवान को लड्डू प्रसादम चढ़ाया जाता है जो बहुत प्रसिद्ध है।
5. इतिहास और मान्यता
कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने कलियुग में लोगों के उद्धार के लिए तिरुमला में वास किया।
यह मंदिर हजारों साल पुराना है और इसे पल्लव, चोल, और विजयनगर साम्राज्य जैसे राजाओं ने भव्य रूप दिया।
6. दर्शन व्यवस्था
मंदिर प्रशासन Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) द्वारा किया जाता है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से दर्शन की सुविधा है।
2.रामेश्वरम धाम
भारत के चार धामों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है
और हिन्दुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
रामेश्वरम धाम के बारे में संक्षिप्त जानकारी:
1. धार्मिक महत्व:
यह भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ का प्रमुख मंदिर रामनाथस्वामी मंदिर है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी और पूजा की थी।
यह धाम शिवभक्तों और वैष्णवों दोनों के लिए बहुत पवित्र है।
2. रामनाथस्वामी मंदिर:
यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यह मंदिर अपनी लंबी गलियारों (कॉरिडोर) और शानदार द्रविड़ स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुण्ड (जलकुंड) हैं, जिनमें स्नान करना पापों को धोने वाला माना जाता है।
3. धार्मिक कथा:
जब भगवान राम ने रावण का वध किया, जो एक ब्राह्मण था, तब उन्होंने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के LIYE
भगवान शिव की पूजा करने का निर्णय लिया।
हनुमान जी कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने गए, लेकिन देर हो जाने पर माता सीता ने रेत से एक शिवलिंग बनाया
जिसे रामेश्वरम लिंग कहा जाता है।
4. अन्य दर्शनीय स्थल:
धनुषकोडी: वह स्थान जहाँ से भगवान राम ने सेतु (रामसेतु) का निर्माण किया था।
राम झूला (Adam's Bridge): यह एक प्राकृतिक रेत की श्रृंखला है जो भारत को श्रीलंका से जोड़ती है और इसे ही रामसेतु कहा जाता है।
3.मीनाक्षी देवी
दक्षिण भारत की एक प्रमुख और पूजनीय देवी हैं, जिनका मुख्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है
– जिसे मीनाक्षी अम्मन मंदिर कहा जाता है। आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
मीनाक्षी देवी का परिचय:
मीनाक्षी का अर्थ होता है "मछली की आंखों वाली" – मीना (मछली) + अक्षी (आंख)।
उन्हें शक्ति (देवी पार्वती) का अवतार माना जाता है।
मीनाक्षी देवी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और उन्हें सुंदरनेश्वर (शिव के रूप) की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
वे मदुरै की अधिष्ठात्री देवी हैं, और उन्हें एक महान योद्धा रानी के रूप में भी जाना जाता है।
मीनाक्षी देवी की कथा:
कथा के अनुसार, मीनाक्षी एक चमत्कारी राजकुमारी थीं, जो पांड्य वंश के राजा मलयध्वज
और रानी कंचनामलाई से उत्पन्न हुई थीं।
जन्म के समय ही उनके शरीर से दिव्य तेज और तीन स्तन थे। यह भविष्यवाणी हुई थी कि जब वह
अपने पति को देखेंगी, तब तीसरा स्तन स्वयं गायब हो जाएगा।
वे बचपन से ही शक्तिशाली, बुद्धिमान और पराक्रमी थीं। उन्होंने युद्ध विद्या में पारंगत होकर कई राज्यों को जीता।
अंततः जब उन्होंने कैलाश पर भगवान शिव से युद्ध किया, तो शिव को देखते ही उनका तीसरा स्तन अदृश्य हो गया
और उन्हें ज्ञात हुआ कि यही उनके पति हैं।
बाद में शिव ने सुंदरनेश्वर रूप में उनसे विवाह किया और यही विवाह मीनाक्षी-सुंदरनेश्वर विवाह के रूप में
आज भी मदुरै में भव्य रूप से मनाया जाता है।
मीनाक्षी देवी मंदिर:
यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का भव्य उदाहरण है।
इसमें मीनाक्षी देवी और सुंदरनेश्वर (शिव) दोनों के लिए मुख्य गर्भगृह हैं।
मंदिर में 12 विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी और रंगीन मूर्तियाँ हैं।
यह मंदिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
मीनाक्षी देवी की पूजा:
उन्हें शक्ति, समर्पण, विवाहिक सौभाग्य और साहस की देवी माना जाता है।
मीनाक्षी तिरुकल्याणम (मीनाक्षी विवाह महोत्सव) विशेष रूप से अप्रैल-मई के दौरान आयोजित होता है,
जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं
4.कन्याकुमारी
भारत के तमिलनाडु राज्य का एक प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल है, जो भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है।
यह स्थान तीन समुद्रों — बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर — के संगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसे "त्रिवेणी संगम" भी कहा जाता है।
यहाँ कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं:
1. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
देवी कन्याकुमारी मंदिर: यह मंदिर देवी पार्वती के एक रूप कन्याकुमारी को समर्पित है।
मान्यता है कि देवी ने यहाँ भगवान शिव से विवाह के लिए तपस्या की थी।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल: यह स्मारक उस चट्टान पर बना है जहाँ स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था।
यह स्थान आत्मचिंतन और प्रेरणा के लिए प्रसिद्ध है।
गांधी स्मारक: महात्मा गांधी की अस्थियाँ यहाँ कुछ समय के लिए रखी गई थीं। यहाँ सूर्य की किरणें गांधी जी की
अस्थियों पर हर साल 2 अक्टूबर को सीधी पड़ती हैं।
2. प्राकृतिक सौंदर्य
सूर्योदय और सूर्यास्त: कन्याकुमारी का सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत सुंदर माना जाता है, खासकर जब समुद्र साफ होता है।
थ्री सी पॉइंट (Three Sea Point): यहाँ खड़े होकर एक साथ तीन समुद्रों को देखा जा सकता है।
3. संस्कृति और विरासत
कन्याकुमारी विविध संस्कृतियों का संगम है। यहाँ तमिल, मलयालम और अन्य दक्षिण भारतीय संस्कृतियों
का प्रभाव देखने को मिलता है। यह स्थान कला, साहित्य और अध्यात्म का केंद्र भी है।
5.पद्मनाभस्वामी मंदिर
भारत के केरल राज्य के त्रिवेन्द्रम (तिरुवनंतपुरम) शहर में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध और रहस्यमयी
हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के 'अनंतशायी' स्वरूप को समर्पित है, जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए हैं।
यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रमुख विशेषताएँ:
1. इतिहास और वास्तुकला:
यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली में बना हुआ है, जो दक्षिण भारत के मंदिरों की एक प्रमुख पहचान है।
यह मंदिर सदियों पुराना है और कहा जाता है कि इसका उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है।
2. भगवान की मूर्ति:
मुख्य मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग (अनंत) पर शयन मुद्रा में हैं। इस मुद्रा को 'अनंतशायी विष्णु' कहते हैं।
मूर्ति इतनी विशाल है कि उसे तीन दरवाजों से देखा जाता है—सिर, नाभि और पैर के भाग अलग-अलग द्वारों से दिखते हैं।
3. समृद्धि और रहस्य:
वर्ष 2011 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के तहखानों को खोला गया, तो उनमें से अरबों रुपये की संपत्ति जैसे सोने,
हीरे, कीमती आभूषण, प्राचीन मूर्तियाँ आदि मिले।
सबसे रहस्यमय तहखाना है Vault B (कक्ष B), जिसे आज तक नहीं खोला गया है। ऐसा कहा जाता है कि इसे खोलने पर संकट आ सकता है,
और यह नाग रक्षा से जुड़ा हुआ माना जाता है।
4. प्रशासन:
मंदिर का प्रबंधन पहले त्रावणकोर राजपरिवार द्वारा किया जाता था।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेष ट्रस्ट इसका संचालन करता है।
5. धार्मिक महत्त्व:
पद्मनाभस्वामी मंदिर 108 दिव्य देशमों में से एक है, जो वैष्णव संप्रदाय के लिए
सबसे पवित्र स्थानों में गिना जाता है।
6.श्री मल्लिकार्जुन
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम
(Srisailam) नामक स्थान पर स्थित है। इसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग या श्रीशैल मल्लिकार्जुन भी कहा जाता है।
इस पवित्र स्थल को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है।
विशेषताएं:
1. देवता:
भगवान शिव (मल्लिकार्जुन) और देवी पार्वती (भ्रामराम्बा) की यहां संयुक्त पूजा होती है।
मल्लिकार्जुन = 'मल्लिका' (चमेली) + 'अर्जुन' (शिव का रूप)
यह इकलौता ज्योतिर्लिंग है जहाँ शिव और शक्ति दोनों एक साथ पूजित हैं।
2. स्थान:
श्रीशैल पर्वत, नल्लमाला वनों के बीच, कृष्णा नदी के किनारे बसा है।
3. पौराणिक कथा:
भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए श्रीशैल पर्वत पर आए थे।
कार्तिकेय ने गुस्से में कैलाश छोड़ दिया था। माता-पिता के आने से वे प्रसन्न हुए और वहीं रहने लगे। इसलिए यह स्थल अति पावन माना जाता है।
4. भ्रमराम्बा शक्तिपीठ:
यहाँ देवी सती का गला गिरा था, इसलिए यह शक्ति पीठ भी है।
यानी यह स्थान ज्योतिर्लिंग + शक्ति पीठ दोनों का संगम है।
5. त्योहार और मेले:
महाशिवरात्रि
नवरात्रि
श्रावण मास में विशेष पूजा होती है।
#आईये RAMESHWARAM धाम 2025 की यात्रा श्री केदार तीर्थ यात्रा के साथ करें
✅ विशेषज्ञ मार्गदर्शन – धार्मिक व ऐतिहासिक जानकारी के साथ।
✅ सुरक्षित व सुविधाजनक यात्रा – बेहतर ठहरने, भोजन व परिवहन की व्यवस्था।
✅ समर्पित सेवा – 24/7 सहायता, स्वास्थ्य सुरक्षा व यात्रा प्रबंधन।
✅ किफायती पैकेज – हर बजट के अनुकूल योजनाएँ।
आपकी संतुष्टि ही हमारी उपलब्धि है
"हमारा अनुभव और आपका विश्वास हमें बनाता है भारत की सर्वश्रेष्ठ तीर्थ यात्रा सेवा समिति !"
📞 *अभी बुक करें: - http://www.kedartirthyatra.com
*संपर्क: 6265445023, 9753566154
रामेश्वरम धाम यात्रा 2025
🌞🌺🔱🌏🔱🌺🌞
केदार तीर्थ यात्रा आपको रामेश्वरम धाम ( दक्षिण भारत ) यात्रा के लिए विश्वसनीय,
सुव्यवस्थित और आध्यात्मिक सेवाएं प्रदान करता है।
1.तिरुपति बालाजी,
जिन्हें भगवान वेंकटेश्वर, गोविंदा या श्रीनिवास के नाम से भी जाना जाता है,
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित हैं। यह स्थान हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
यहाँ तिरुपति बालाजी मंदिर का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
1. मंदिर का नाम
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (Shri Venkateswara Swamy Temple)
2. स्थान
तिरुमला, जिला तिरुपति, राज्य आंध्र प्रदेश, भारत।
3. भगवान कौन हैं?
भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। वे कलियुग में भक्तों के दुख हरने वाले देवता माने जाते हैं।
4. विशेषता
यह मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।
रोज़ लाखों की संख्या में भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
यहाँ मुंडन (बाल चढ़ाने की परंपरा) विशेष महत्व रखती है।
भगवान को लड्डू प्रसादम चढ़ाया जाता है जो बहुत प्रसिद्ध है।
5. इतिहास और मान्यता
कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने कलियुग में लोगों के उद्धार के लिए तिरुमला में वास किया।
यह मंदिर हजारों साल पुराना है और इसे पल्लव, चोल, और विजयनगर साम्राज्य जैसे राजाओं ने भव्य रूप दिया।
6. दर्शन व्यवस्था
मंदिर प्रशासन Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) द्वारा किया जाता है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से दर्शन की सुविधा है।
2.रामेश्वरम धाम
भारत के चार धामों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है
और हिन्दुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
रामेश्वरम धाम के बारे में संक्षिप्त जानकारी:
1. धार्मिक महत्व:
यह भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ का प्रमुख मंदिर रामनाथस्वामी मंदिर है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी और पूजा की थी।
यह धाम शिवभक्तों और वैष्णवों दोनों के लिए बहुत पवित्र है।
2. रामनाथस्वामी मंदिर:
यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यह मंदिर अपनी लंबी गलियारों (कॉरिडोर) और शानदार द्रविड़ स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुण्ड (जलकुंड) हैं, जिनमें स्नान करना पापों को धोने वाला माना जाता है।
3. धार्मिक कथा:
जब भगवान राम ने रावण का वध किया, जो एक ब्राह्मण था, तब उन्होंने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के LIYE
भगवान शिव की पूजा करने का निर्णय लिया।
हनुमान जी कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने गए, लेकिन देर हो जाने पर माता सीता ने रेत से एक शिवलिंग बनाया
जिसे रामेश्वरम लिंग कहा जाता है।
4. अन्य दर्शनीय स्थल:
धनुषकोडी: वह स्थान जहाँ से भगवान राम ने सेतु (रामसेतु) का निर्माण किया था।
राम झूला (Adam's Bridge): यह एक प्राकृतिक रेत की श्रृंखला है जो भारत को श्रीलंका से जोड़ती है और इसे ही रामसेतु कहा जाता है।
3.मीनाक्षी देवी
दक्षिण भारत की एक प्रमुख और पूजनीय देवी हैं, जिनका मुख्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है
– जिसे मीनाक्षी अम्मन मंदिर कहा जाता है। आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
मीनाक्षी देवी का परिचय:
मीनाक्षी का अर्थ होता है "मछली की आंखों वाली" – मीना (मछली) + अक्षी (आंख)।
उन्हें शक्ति (देवी पार्वती) का अवतार माना जाता है।
मीनाक्षी देवी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और उन्हें सुंदरनेश्वर (शिव के रूप) की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
वे मदुरै की अधिष्ठात्री देवी हैं, और उन्हें एक महान योद्धा रानी के रूप में भी जाना जाता है।
मीनाक्षी देवी की कथा:
कथा के अनुसार, मीनाक्षी एक चमत्कारी राजकुमारी थीं, जो पांड्य वंश के राजा मलयध्वज
और रानी कंचनामलाई से उत्पन्न हुई थीं।
जन्म के समय ही उनके शरीर से दिव्य तेज और तीन स्तन थे। यह भविष्यवाणी हुई थी कि जब वह
अपने पति को देखेंगी, तब तीसरा स्तन स्वयं गायब हो जाएगा।
वे बचपन से ही शक्तिशाली, बुद्धिमान और पराक्रमी थीं। उन्होंने युद्ध विद्या में पारंगत होकर कई राज्यों को जीता।
अंततः जब उन्होंने कैलाश पर भगवान शिव से युद्ध किया, तो शिव को देखते ही उनका तीसरा स्तन अदृश्य हो गया
और उन्हें ज्ञात हुआ कि यही उनके पति हैं।
बाद में शिव ने सुंदरनेश्वर रूप में उनसे विवाह किया और यही विवाह मीनाक्षी-सुंदरनेश्वर विवाह के रूप में
आज भी मदुरै में भव्य रूप से मनाया जाता है।
मीनाक्षी देवी मंदिर:
यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का भव्य उदाहरण है।
इसमें मीनाक्षी देवी और सुंदरनेश्वर (शिव) दोनों के लिए मुख्य गर्भगृह हैं।
मंदिर में 12 विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी और रंगीन मूर्तियाँ हैं।
यह मंदिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
मीनाक्षी देवी की पूजा:
उन्हें शक्ति, समर्पण, विवाहिक सौभाग्य और साहस की देवी माना जाता है।
मीनाक्षी तिरुकल्याणम (मीनाक्षी विवाह महोत्सव) विशेष रूप से अप्रैल-मई के दौरान आयोजित होता है,
जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं
4.कन्याकुमारी
भारत के तमिलनाडु राज्य का एक प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल है, जो भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है।
यह स्थान तीन समुद्रों — बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर — के संगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसे "त्रिवेणी संगम" भी कहा जाता है।
यहाँ कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं:
1. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
देवी कन्याकुमारी मंदिर: यह मंदिर देवी पार्वती के एक रूप कन्याकुमारी को समर्पित है।
मान्यता है कि देवी ने यहाँ भगवान शिव से विवाह के लिए तपस्या की थी।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल: यह स्मारक उस चट्टान पर बना है जहाँ स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था।
यह स्थान आत्मचिंतन और प्रेरणा के लिए प्रसिद्ध है।
गांधी स्मारक: महात्मा गांधी की अस्थियाँ यहाँ कुछ समय के लिए रखी गई थीं। यहाँ सूर्य की किरणें गांधी जी की
अस्थियों पर हर साल 2 अक्टूबर को सीधी पड़ती हैं।
2. प्राकृतिक सौंदर्य
सूर्योदय और सूर्यास्त: कन्याकुमारी का सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत सुंदर माना जाता है, खासकर जब समुद्र साफ होता है।
थ्री सी पॉइंट (Three Sea Point): यहाँ खड़े होकर एक साथ तीन समुद्रों को देखा जा सकता है।
3. संस्कृति और विरासत
कन्याकुमारी विविध संस्कृतियों का संगम है। यहाँ तमिल, मलयालम और अन्य दक्षिण भारतीय संस्कृतियों
का प्रभाव देखने को मिलता है। यह स्थान कला, साहित्य और अध्यात्म का केंद्र भी है।
5.पद्मनाभस्वामी मंदिर
भारत के केरल राज्य के त्रिवेन्द्रम (तिरुवनंतपुरम) शहर में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध और रहस्यमयी
हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के 'अनंतशायी' स्वरूप को समर्पित है, जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए हैं।
यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रमुख विशेषताएँ:
1. इतिहास और वास्तुकला:
यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली में बना हुआ है, जो दक्षिण भारत के मंदिरों की एक प्रमुख पहचान है।
यह मंदिर सदियों पुराना है और कहा जाता है कि इसका उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है।
2. भगवान की मूर्ति:
मुख्य मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग (अनंत) पर शयन मुद्रा में हैं। इस मुद्रा को 'अनंतशायी विष्णु' कहते हैं।
मूर्ति इतनी विशाल है कि उसे तीन दरवाजों से देखा जाता है—सिर, नाभि और पैर के भाग अलग-अलग द्वारों से दिखते हैं।
3. समृद्धि और रहस्य:
वर्ष 2011 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के तहखानों को खोला गया, तो उनमें से अरबों रुपये की संपत्ति जैसे सोने,
हीरे, कीमती आभूषण, प्राचीन मूर्तियाँ आदि मिले।
सबसे रहस्यमय तहखाना है Vault B (कक्ष B), जिसे आज तक नहीं खोला गया है। ऐसा कहा जाता है कि इसे खोलने पर संकट आ सकता है,
और यह नाग रक्षा से जुड़ा हुआ माना जाता है।
4. प्रशासन:
मंदिर का प्रबंधन पहले त्रावणकोर राजपरिवार द्वारा किया जाता था।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेष ट्रस्ट इसका संचालन करता है।
5. धार्मिक महत्त्व:
पद्मनाभस्वामी मंदिर 108 दिव्य देशमों में से एक है, जो वैष्णव संप्रदाय के लिए
सबसे पवित्र स्थानों में गिना जाता है।
6.श्री मल्लिकार्जुन
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम
(Srisailam) नामक स्थान पर स्थित है। इसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग या श्रीशैल मल्लिकार्जुन भी कहा जाता है।
इस पवित्र स्थल को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है।
विशेषताएं:
1. देवता:
भगवान शिव (मल्लिकार्जुन) और देवी पार्वती (भ्रामराम्बा) की यहां संयुक्त पूजा होती है।
मल्लिकार्जुन = 'मल्लिका' (चमेली) + 'अर्जुन' (शिव का रूप)
यह इकलौता ज्योतिर्लिंग है जहाँ शिव और शक्ति दोनों एक साथ पूजित हैं।
2. स्थान:
श्रीशैल पर्वत, नल्लमाला वनों के बीच, कृष्णा नदी के किनारे बसा है।
3. पौराणिक कथा:
भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए श्रीशैल पर्वत पर आए थे।
कार्तिकेय ने गुस्से में कैलाश छोड़ दिया था। माता-पिता के आने से वे प्रसन्न हुए और वहीं रहने लगे। इसलिए यह स्थल अति पावन माना जाता है।
4. भ्रमराम्बा शक्तिपीठ:
यहाँ देवी सती का गला गिरा था, इसलिए यह शक्ति पीठ भी है।
यानी यह स्थान ज्योतिर्लिंग + शक्ति पीठ दोनों का संगम है।
5. त्योहार और मेले:
महाशिवरात्रि
नवरात्रि
श्रावण मास में विशेष पूजा होती है।
#आईये RAMESHWARAM धाम 2025 की यात्रा श्री केदार तीर्थ यात्रा के साथ करें
✅ विशेषज्ञ मार्गदर्शन – धार्मिक व ऐतिहासिक जानकारी के साथ।
✅ सुरक्षित व सुविधाजनक यात्रा – बेहतर ठहरने, भोजन व परिवहन की व्यवस्था।
✅ समर्पित सेवा – 24/7 सहायता, स्वास्थ्य सुरक्षा व यात्रा प्रबंधन।
✅ किफायती पैकेज – हर बजट के अनुकूल योजनाएँ।
आपकी संतुष्टि ही हमारी उपलब्धि है
"हमारा अनुभव और आपका विश्वास हमें बनाता है भारत की सर्वश्रेष्ठ तीर्थ यात्रा सेवा समिति !"
📞 *अभी बुक करें: - http://www.kedartirthyatra.com
*संपर्क: 6265445023, 9753566154
WELCOME TO,
www.kedartirthyatra.com
🍁 नियम एवं शर्ते🍁:-
1. अपना यात्रा कन्फर्म करने हेतु 5000 रु.स्टैण्डर्ड / 10,000 ₹ डीलक्स या 25% सहयोग राशि जमा करवाना अनिवार्य है
और बाकी शेष राशि यात्रा से 30 दिन पूर्व श्री केदार तीर्थ यात्रा सेवा समिति आपने जिस संस्था में बुकिंग करायी है उस कार्यालय
संस्था में पूर्ण राशि जमा करवाना अनिवार्य होगा अन्यथा आपकी यात्रा निरस्त कर दी जायेगी।
2. यात्रा दिनांक के 2 से 5 दिन पूर्व संपूर्ण जानकारी संस्था से ले लेंगे अन्यथा इसकी जवाबदारी संस्था की नहीं रहेगी।
3. मैं अपनी स्वयं की इच्छा से बिना किसी दबाव एवं अपने पूर्ण होशो हवास के साथ श्री केदार तीर्थ यात्रा सेवा समिति
इंडियन कॉफी हाउस के बगल में, टी. पी. नगर,कोरबा, छत्तीसगढ़ पिन नंबर :- 495677
के साथ यात्रा कर रहा/ रही हूँ।
4.एक माह पूर्व यात्रा निरस्त करने पर यात्रा की पूर्ण राशि का निरस्तीकरण प्रभार 10% लगेगा, यात्रा दिनांक के
15% दिन पूर्व 50% एवं 7 दिन पूर्व 75% पूर्ण राशि में काटौती होगी व यात्रा दिनांक 2 दिन पूर्व राशि वापस नहीं हो पायेगी।
वह राशि अगली यात्रा में स्थानांतरित हो जायेगी।
5. यात्रा के दौरान भोजन की व्यवस्था ट्रेन में की गई हैं। ट्रेन से बाहर यात्रा के दौरान जब कभी आप दर्शनीय स्थल पर रहेंगे
आपकी भोजन की व्यवस्था स्वयं की रहेगी।
6. 1 या 2 माह पूर्व कोई भी यात्रा की बुकिंग कराते है और किसी कारण वश आप यात्रा में नहीं जा पा रहे है।
यदि आप दूसरे यात्रा में जाना चाहते हैं है / इच्छूक है तो उसकी जानकारी आपको समिति को पूर्व देनी रहेगी।
7. यात्रा करते समय आपकी अपनी ऑरिजनल आई डी. कार्ड जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, व्होटर आई डी कार्ड आदि रखना अनिर्वाय है।
अगर आप अपनी ऑरिजन्ल आई डी. कार्ड नहीं रखते है, सफर के दौरान टी.टी.ई आपको फाईन कर सकता है, ट्रेन से बाहर उतार सकता है।
इसकी पूर्ण जवाबदारी आपकी रहेगी।
8 यात्रा में सीनियर सिटीजन को पहली प्राथमिक्ता दी जावेगी। चाहे वो ट्रेन हो, बस हो या होटल / धर्मशाला हो ।
9. अ) 3 से 8 वर्ष की उम्र में बच्चों का सहयोग राशि 50% जो कुल राशि से देना होगा तथा शयन वर्थ आबंटित नहीं की जावेगी।
वरिष्ठ यात्रियों को पूर्ण सहयोग राशि देना होगा।
ब) 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों का आयु के प्रमाण पत्र के फोटो जमा करना अनिवार्य है अन्यथा पूरा टिकट लगेगा।
10. जिस यात्री का आरक्षण होगा वही यात्री यात्रा कर सकता है। उसके स्थान पर कोई भी दूसरा व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकता यात्रा पूर्णतः पूर्व निर्धारित रहेगी 1.
यात्रा के दौरान मांस, मंदिरा, धूम्रपान का सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उपरोक्त वस्तुओं का सेवन करते पाये जाने पर आपकी यात्रा वहीं निरस्त कर दी जावेगी।
12. सभी यात्री अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा जान माल की हिफाजत के लिये स्वयं जिम्मेदार रहेंगे, यात्रा के दौरान किसी भी तरह की आकस्मिक
दुर्घटना या नुकसान के लिए समिति जिम्मेदार नहीं होगी।
13. अपरिहार्य कारणों से यात्रा कार्यक्रम में परिवर्तन किया जा सकता है। उसमें आपको सहयोग प्रदान करना रहेगा।
14. टी बी शुगर ब्लडप्रेशर हदय रोग या अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अकेले सफर न करें। साधारणत, अपनी दवाईयों साथ रखें।
बीच में किसी भी प्रकार कि (स्वास्थ्य सबंधी) समस्या आने पर समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी इसके लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।
यात्रा में सम्मिलित होने के पूर्व स्वास्थ्य संबंधी चेकअप डॉक्टर से अवश्य करा लेवें ये आपकी स्वंय की जवाबदारी रहेगी।
15. 60 से अधिक आयु के यात्री के साथ पारिवारिक यात्री सदस्य का होना अनिवार्य है। यात्रा करते समय आप चाहे तो यात्रा बीमा करवा सकते है।
उसकी राशि आपको स्वंय को वहन करनी होगी।
16. किसी भी प्रकार की विवादपूर्ण परिस्थितियों में हमें आप का सहयोग चाहिये और जो निर्णय समिति लेगी वह अंतिम व सर्वमान्य होगा।
17. समिति द्वारा दी गई समय सारिणी के 1 घंटा पूर्व आपको रेल्वे स्टेशन में उपलब्ध रहकर अपनी उपस्थिति अपने कोच प्रभारी को देना होगा।
अन्यथा समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगीं यदि स्टेशन से ट्रेन छूट जाती है, तो अगले स्टेशन में यात्री अपने सुविधानुसार यात्रा में शामिल हो सकता है।
यदि ऐसा नहीं हो सकता है लो समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगी। 18. यह ट्रेन आपकी है कृपया करके हमें सहयोग प्रदान करें। आप जो
समिति का राशि दे रहें है। उसके एवज में आपको ट्रेन भोजन की व्यवस्था बस की व्यवस्था व आपकी
सेवा समिति दे रहीं है कृपया करके आप भी हमें सहयोग प्रदान करें। 19. यात्रियों से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान शांति सौहाद्रपूर्ण एवं भक्तिमय,
भाई चारा वातावरण निर्मित कर यात्रा करें। जिससे यात्रा आनंदमय हो और आप आनंदित रहे।
20 रेल्वे प्रबंधन द्वारा हमारी समिति को 2 घंटे पूर्व ही यात्रा ट्रेन हमें प्रदान करती है जिससे हमारे समिति को ट्रेन में बिजली व पंखें पानी की स्थिति से हमें अनभिज्ञ रहते हैं
अतः यात्रा के दौरान कोई समस्या आती है तो कृपया संयम से काम लेवें इसमें समिति की किसी प्रकार की गलती नहीं रहती।
आपका समस्या का समाधान जल्द समिति द्वारा पूर्ण प्रयास किया जायेगा।
21. सभी श्रद्धालुओं को ट्रेन में बैठने के पश्चात् ही चाय नाश्ते की व्यवस्था करायी जावेगी।
22. यात्रा के दौरान ट्रेन में वैष्णव भोजन की व्यवस्था रहती है।
23. सभी यात्री को बैच रखना अनिवार्य है बैच गुमने पर संस्था से 200 रुपयें दूसरा बैच बनवा लें।
अन्यथा चेकिंग के दौरान बैच नहीं मिलने पर 300 रुपये समिति द्वारा
जुर्माना लिया जावेगा।
24. सभी भक्तजनों को हमारी समिति द्वारा सूचित किया जाता है कि भगवान के दर्शन के समय पूरा ध्यान केवल भगवान के श्री विग्रह (मूर्ति) पर ही लगायें।
जिससे दर्शन हो इसमें समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी।
25. श्री केदार तीर्थ यात्रा सेवा समिति कोरबा जानकारी हमें विज्ञापन व इष्ट मित्रों परिवार के सदस्य अन्य व्यक्ति के माध्यम से प्राप्त हुआ है,
अन्य यात्रा सेवा समिति इसमें किसी भी प्रकार से दावा आपत्ति नहीं कर सकती है।
26. यदि किसी भी यात्री द्वारा चेन पुलिंग किया जाता है तो आर'पी' एफ' द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही उस यात्री पर करता है तो उसमें
समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी कृपया करके इन सावधानियों को ध्यान देवें।
27. समिति 2 या 3 कि. मी. की दूरी के धर्मशाला या मंदिर में रहनें पर वाहनों की व्यवस्था नहीं करेगी। आप अपने स्वयं की व्यवस्था से
मंदिर दर्शन करेंगे व स्टेशन धर्मशाला पहुंचेंगे। समिति के सदस्य मंदिर तक आपके साथ में रहेंगे।
28. समिति ट्रेन व स्टेशनों (तीर्थ स्थलों) को बदल सकती है किसी भी कारण वश आप उसके लिये दावा आपत्ति नहीं कर सकतें ।
29. समिति द्वारा आप सभी भक्तजनों को मंदिर द्वारा या तीर्थ स्थल तक ले जाया जावेगा। किसी कारणवश कोई भक्तजन दशर्न से वंचित रहते है तो
समिति इसके लिये जवाबदार नहीं रहेगी !
30. यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा, रोड का बंद हो जाना, ट्रेन कैसिल, राजनितिक व प्रसाशनिक कारणों से यात्रा अवरूध हो जाती है
उस परिस्थिती में यात्रीगण अपने होटल, लॉज और खाने में जो व्यय होगा उन्हे स्वयं करना होगा। यात्रा की अवधि या ट्रेन कैंसल की स्थिति में
अतिरिक्त राशि आप से ली जा सकती है। जब यह समस्या निर्मीत होगी ।
31. समिति स्पेशल ट्रेन / कोच के लिये रेलवे में आवेदन करती है। परन्तु किसी कारण वश रेलवे स्पेशल ट्रेन / कोच उपलब्ध नही करापाती है तो उस स्थिति अनुसार आपको रिजर्वेशन कोच में यात्रा करनी रहेगी। आप सहमति पर ही बुकिंग करायें ।
उपरोक्त नियम व शर्तों से मैं पूर्णता सहमत हूँ।
𝗘𝗫𝗣𝗟𝗢𝗥𝗘 𝗢𝗨𝗥 𝗦𝗘𝗥𝗩𝗜𝗖𝗘𝗦– 𝗚𝗘𝗧 𝗜𝗡 𝗧𝗢𝗨𝗖𝗛 𝗡𝗢𝗪 :-
🌎 👉𝘄𝘄𝘄. 𝗸𝗲𝗱𝗮𝗿𝘁𝗶𝗿𝘁𝗵𝘆𝗮𝘁𝗿𝗮. 𝗰𝗼𝗺
𝐂𝐀𝐋𝐋 𝐔𝐒 👉 :-
📞 𝟲𝟮𝟲𝟱𝟰𝟰𝟱𝟬𝟮𝟯, 𝟵𝟳𝟱𝟯𝟱𝟲𝟲𝟭𝟱𝟰
𝐊𝐄𝐃𝐀𝐑𝐍𝐀𝐓𝐇 𝐈𝐒 𝐓𝐑𝐔𝐋𝐄𝐘 𝐇𝐄𝐀𝐕𝐄𝐍.
𝐕𝐈𝐒𝐈𝐓 𝐊𝐄𝐃𝐀𝐑𝐍𝐀𝐓𝐇 𝐀𝐓 𝐋𝐄𝐀𝐒𝐓 𝐎𝐍𝐂𝐄 𝐈𝐍 𝐘𝐎𝐔𝐑 𝐋𝐈𝐅𝐄𝐓𝐈𝐌𝐄.
𝗔𝗗𝗗𝗥𝗘𝗦𝗦 :-
𝗜𝗡𝗗𝗜𝗔𝗡 𝗖𝗢𝗙𝗙𝗘𝗘 𝗛𝗢𝗨𝗦𝗘 𝗕𝗘𝗦𝗜𝗗𝗘
𝗧. 𝗣. 𝗡𝗔𝗚𝗔𝗥 𝗞𝗢𝗥𝗕𝗔, 𝗖𝗛𝗛𝗔𝗧𝗧𝗜𝗦𝗚𝗔𝗥𝗛, 𝗜𝗡𝗗𝗜𝗔 🇮🇳
𝗣𝗜𝗡 𝗖𝗢𝗗𝗘 :-
495677
© 2025 Kedar Tirth Yatra. All Rights Reserved | Design by W3layouts
© 2025 Kedar Tirth Yatra. All Rights Reserved https://kedartirthyatra.com/
Duis venenatis, turpis eu bibendum porttitor, sapien quam ultricies tellus, ac rhoncus risus odio eget nunc. Pellentesque ac fermentum diam. Integer eu facilisis nunc, a iaculis felis. Pellentesque pellentesque tempor enim, in dapibus turpis porttitor quis.