1.SHREE JAGANNATH TEMPLE
2.KORNAK TEMPLE
3.CHANDRA BHAGA BEACH
4.LINGRAJ TEMPLE
5.KEDAR GOURI
6.KHANDA GIRI
7.UDAYA GIRI
8.DHOLIGIRI
9.SIDHDESHWAR TEMPLE
10.MUKTESHWAR
1. FROM :- 16-05-2025 TO 21-05-2025
2. FROM :- 22-05-2025 TO 27-05-2025
3. FROM :- 05-06-2025 TO 10-06-2025
4. FROM :- 13-06-2025 TO 18-06-2025
5. FROM :- 10-09-2025 TO 15-09-2025
6. FROM :- 05-10-2025 TO 10-10-2025
Boarding Stations:- WILL BE YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
Deboarding Stations:- YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
Departure Train:- WILL BE YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
Drop Train:- YOURS NEAREST RAILWAY STATION JUNCTION :-
Sleeper Rate8500
AC2 Rate16500
AC3 Rate13500
Flight Rate25000
जगन्नाथ पुरी यात्रा 2025
🌞🌺🔱🌏🔱🌺🌞
केदार तीर्थ यात्रा आपको जगन्नाथ पुरी
यात्रा के लिए विश्वसनीय,
सुव्यवस्थित और आध्यात्मिक सेवाएं प्रदान करता है।
1..जगन्नाथ पुरी धाम,
भारत के उड़ीसा (ओडिशा) राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जो चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, और पुरी)
में से एक है। यह भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी ऐतिहासिक,
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।प्रमुख विशेषताएं:जगन्नाथ मंदिर:12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा
अनंतवर्मन चोडगंग द्वारा निर्मित।
मंदिर की वास्तुकला कalinga शैली की है, जिसमें 65 मीटर ऊंचा शिखर (नीलचक्र) है।
मंदिर में तीन मुख्य देवताएं—जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा—लकड़ी की मूर्तियों के रूप में पूजी जाती हैं,
जो हर 12-19 वर्ष में नवकलेवर
(नई मूर्ति निर्माण) के दौरान बदली जाती हैं।
गैर-हिंदुओं और विदेशियों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है,
लेकिन वे बाहर से दर्शन कर सकते हैं।रथ यात्रा:जगन्नाथ पुरी की विश्व
प्रसिद्ध रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास में
आयोजित होती है।तीन विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र,
और सुभद्रा को मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
लाखों भक्त इस उत्सव में शामिल होते हैं,
और इसे भगवान के दर्शन का विशेष अवसर माना जाता है।
धार्मिक महत्व:पुरी को "मोक्षदायिनी नगरी" माना जाता है,
जहां दर्शन और तीर्थ यात्रा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।यह वैष्णव, शैव,
और शाक्त परंपराओं का संगम है।
आदि शंकराचार्य ने यहां गोवर्धन मठ की स्थापना की, जो चार मठों में से एक है।
सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व:पुरी समुद्र तट
(स्वर्ण रेखा बीच) के किनारे बसा है, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
यहां का प्रसाद, "महाप्रसाद," विशेष रूप से प्रसिद्ध है,
जिसे मंदिर की रसोई में तैयार किया जाता है।पुरी ओडिशा की सांस्कृतिक राजधानी भी है,
जहां कला, नृत्य (ओडिसी), और शिल्प फलते-फूलते हैं।
अन्य आकर्षण:गुंडिचा मंदिर: रथ यात्रा के दौरान भगवान का अस्थायी निवास।शंकराचार्य मठ:
आदि शंकराचार्य से संबंधित।सूर्य मंदिर, कोणार्क
पुरी से 35 किमी दूर, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।चिल्का झील: पास में स्थित, पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग।
रोचक तथ्य:जगन्नाथ मंदिर में झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है,
जो एक रहस्यमय घटना है।
मंदिर का नीलचक्र (शिखर पर चक्र) हर दिन बदला जाता है और इसे पवित्र माना जाता है।
भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां अधूरी दिखती हैं,
जिसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं।
2.कोणार्क सूर्य मंदिर
भारत के ओडिशा राज्य में पुरी जिले के कोणार्क में स्थित एक ऐतिहासिक
और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था
और इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसका डिज़ाइन एक विशाल रथ के रूप में है,
जो सूर्य भगवान के रथ का प्रतीक है।
प्रमुख विशेषताएँ:स्थापत्य शैली: मंदिर कलिंग स्थापत्य शैली का बेहतरीन नमूना है।
यह एक रथ के आकार में बना है,
जिसमें 12 जोड़ी विशाल पहिए और सात घोड़े (अब केवल कुछ ही शेष हैं) हैं,
जो सूर्य के रथ को खींचते हुए प्रतीत होते हैं।
नक्काशी और मूर्तिकला: मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी और मूर्तियाँ हैं
, जो हिंदू पौराणिक कथाओं, देवी-देवताओं,
नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार और कामुक दृश्यों को दर्शाती हैं।
ये नक्काशियाँ भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि को प्रदर्शित करती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की
पहली किरणें मंदिर के गर्भगृह को रोशन करती हैं।
पहिए सूर्य घड़ी के रूप में भी कार्य करते हैं, जो समय का सटीक मापन करते हैं।
वर्तमान स्थिति: मंदिर का मुख्य गर्भगृह आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त है,
और यह अब पूजा स्थल के रूप में उपयोग नहीं होता।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा है।
सांस्कृतिक महत्व: कोणार्क मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म में सूर्य
पूजा के महत्व को दर्शाता है।
यह पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
3.लिंगराज मंदिर
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है,
जो भगवान शिव को समर्पित है।
यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजवंश के राजा जजति केशरी द्वारा बनवाया गया था।
यह भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है।
प्रमुख विशेषताएँ:वास्तुकला: मंदिर कलिंग वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसका मुख्य गर्भगृह 180 फीट ऊँचा है, जिसमें शिवलिंग स्थापित है,
जिसे "लिंगराज" (शिव और विष्णु का संयुक्त रूप) माना जाता है।
मंदिर परिसर में लगभग 150 छोटे-बड़े मंदिर हैं।धार्मिक महत्व: यह मंदिर हिंदुओं, विशेषकर
शैव और वैष्णव संप्रदायों के लिए अत्यंत पवित्र है।
यहाँ भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा होती है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
महाशिवरात्रि: यहाँ का सबसे बड़ा उत्सव महाशिवरात्रि है,
जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।परिसर
मंदिर परिसर में भगवती मंदिर (पार्वती को समर्पित),
नट मंदिर, और एक बड़ा जलाशय (बिंदु सागर) शामिल है।
प्रवेश: गैर-हिंदुओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है,
लेकिन वे परिसर के बाहर से दर्शन कर सकते हैं
।स्थान:लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर के पुराने शहर में स्थित है।
यह रेल, सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
4.साक्षी गोपाल मंदिर
उड़ीसा (ओडिशा) के पुरी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है,
जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर पुरी से
लगभग 15 किमी और भुवनेश्वर से करीब 50 किमी दूर सत्यवादीपुर में है,
जिसे अब साक्षी गोपाल के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का नाम "साक्षी गोपाल" पड़ा क्योंकि भगवान गोपाल ने
यहाँ अपने भक्त की गवाही (साक्षी) दी थी। यहाँ भगवान गोपाल और राधा जी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
प्रमुख विशेषताएँ:पौराणिक कथा:कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण युवक ने
वृद्ध धनवान ब्राह्मण की तीर्थयात्रा में उनकी सेवा की।
प्रसन्न होकर वृद्ध ने वृंदावन के गोपाल मंदिर में अपनी पुत्री का विवाह
उस युवक से करने का वचन दिया। बाद में, वृद्ध के परिवार ने वचन तोड़ दिया।
युवक ने पंचायत में गोपाल जी को साक्षी बताया। भगवान गोपाल युवक
के विश्वास से प्रसन्न होकर वृंदावन से पैदल उड़ीसा के पुलअलसा तक आए।
गोपाल जी ने कहा कि वह नूपुरों की ध्वनि के साथ पीछे चलेंगे, लेकिन युवक को पीछे नहीं देखना था।
पुलअलसा में रेतीले रास्ते पर नूपुरों की आवाज बंद हुई,
और युवक ने पीछे देख लिया, जिससे गोपाल जी की मूर्ति वहीं स्थिर हो गई।
बाद में, पंचायत के सामने गोपाल जी ने गवाही दी,
और युवक का विवाह संपन्न हुआ।इसके बाद कटक के राजा ने इस विग्रह को
पुरी लाकर साक्षी गोपाल मंदिर में स्थापित किया।
मंदिर का महत्व:ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी की यात्रा तब तक अधूरी है,
जब तक श्रद्धालु साक्षी गोपाल मंदिर में दर्शन नहीं करते।
मंदिर के पास चंदन तालाब, राधाकुंड,
और श्यामकुंड जैसे सरोवर हैं, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं।मंदिर की संरचना
:मुख्य मंदिर में भगवान गोपाल की मूर्ति है,
और पास ही श्री राधिका जी का मंदिर है।मंदिर की इमारत सुंदर और मनोरम है,
जो भक्तों को आकर्षित करती है।
राधा जी की मूर्ति की कथा:एक कथा के अनुसार,
गोपाल जी को पुरी से 16 किमी दूर स्थापित करने
पर राधा जी उनसे दूर हो गईं।
राधा जी ने पुजारी की पुत्री लक्ष्मी के रूप में जन्म लिया।
बाद में, राधा की मूर्ति स्थापित हुई,
जिसमें लक्ष्मी की आत्मा समा गई, और मूर्ति का चेहरा लक्ष्मी जैसा हो गया।
5.*चंद्रभागा बीच*
(Chandrabhaga Beach) से हो सकता है, जो ओडिशा (उड़ीसा) के
पुरी जिले में कोणार्क के पास स्थित एक प्रसिद्ध समुद्र तट है।
यदि आप चंद्रभागा बीच के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे इसका विवरण दिया गया है।
अगर आप किसी अन्य विशिष्ट बीच के बारे में पूछ रहे हैं, तो कृपया और विवरण प्रदान करें।
### चंद्रभागा बीच, कोणार्क, ओडिशा के बारे में जानकारी:
1. *स्थान*:
- चंद्रभागा बीच कोणार्क सूर्य मंदिर से लगभग 3 किमी दूर और पुरी से करीब
35 किमी की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यह ओडिशा के सबसे खूबसूरत और शांत समुद्र तटों में से एक है।
- यह बीच अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सूर्योदय के मनोरम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
2. *महत्व*:
- *धार्मिक महत्व*: चंद्रभागा बीच का नाम चंद्रभागा नदी से लिया गया है, जो पास में बहती थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के पुत्र शांब ने सूर्य भगवान की पूजा यहीं की थी,
जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व बढ़ता है।
- *चंद्रभागा मेला*: हर साल माघ शुक्ल सप्तमी (फरवरी के आसपास) को यहां एक प्रसिद्ध मेला
आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु सूर्य भगवान को अर्घ्य देने और स्नान करने आते हैं।
- यह बीच कोणार्क सूर्य मंदिर, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, के निकट होने के कारण भी
पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
3. *विशेषताएं*:
- *प्राकृतिक सौंदर्य*: सुनहरी रेत, नीला समुद्र, और शांत वातावरण इस बीच को फोटोग्राफी
और आराम के लिए आदर्श बनाते हैं।
- *सूर्योदय*: चंद्रभागा बीच सूर्योदय के शानदार दृश्यों के लिए जाना जाता है,
जो इसे सुबह के समय पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है।
- *शांत वातावरण*: पुरी बीच की तुलना में यह कम भीड़भाड़ वाला है,
जिससे यह शांति पसंद करने वालों के लिए उपयुक्त है।
4. *करने योग्य गतिविधियां*:
- समुद्र तट पर टहलना, सूर्योदय देखना, और फोटोग्राफी।
- कोणार्क सूर्य मंदिर की यात्रा, जो पास में ही है।
- स्थानीय व्यंजनों का आनंद, जैसे समुद्री भोजन।
- मछुआरों की गतिविधियों को देखना और उनकी संस्कृति को समझना।
5. *यात्रा का समय*:
- चंद्रभागा बीच घूमने का सबसे अच्छा समय *अक्टूबर से मार्च* के बीच है,
जब मौसम सुहावना और ठंडा होता है। गर्मी (अप्रैल-जून) में तापमान अधिक हो सकता है,
और मानसून (जुलाई-सितंबर) में बारिश के कारण यात्रा असुविधाजनक हो सकती है।
6. *आसपास के आकर्षण*:
- *कोणार्क सूर्य मंदिर*: 13वीं सदी का यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- *पुरी जगन्नाथ मंदिर*: पुरी में स्थित यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- *रामचंडी मंदिर*: चंद्रभागा बीच के रास्ते में एक छोटा मंदिर।
- *ASI संग्रहालय, कोणार्क*: सूर्य मंदिर से संबंधित प्राचीन कलाकृतियों का संग्रह।
### नोट:
- चंद्रभागा बीच पर तैराकी के लिए सावधानी बरतें, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में तेज धाराएं हो सकती हैं।
- स्थानीय नियमों का पालन करें और समुद्र तट को साफ रखने में मदद करें।
6.नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क,
भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित भारत के प्रमुख चिड़ियाघरों में से एक है। यह 437 हेक्टेयर में फैला हुआ है और 1960 में स्थापित किया गया था। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे जंगल और कांजी झील के किनारे बसे होने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ 166 से अधिक प्रजातियों के 3500 से ज्यादा पशु-पक्षी हैं, जिनमें सफेद बाघ, बंगाल टाइगर, एशियाटिक शेर, भारतीय घड़ियाल और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं।
नंदनकानन दुनिया का एकमात्र चिड़ियाघर है जहाँ मेलानिस्टिक (काले) बाघ पाए जाते हैं। यहाँ एक सफारी (शेर और बाघ), एक्वेरियम, सरीसृप पार्क, और नौका विहार की सुविधा भी है। यह संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रमों, विशेष रूप से सफेद बाघ और घड़ियाल के लिए जाना जाता है। पार्क में बॉटनिकल गार्डन और बच्चों के लिए खेल क्षेत्र भी हैं।
*खुलने का समय*: सुबह 7:30 से शाम 5:30 (सर्दियों में 8:00 से 5:00), सोमवार बंद।
*टिकट*: वयस्कों के लिए ₹50-100, विदेशियों के लिए ₹400, कैमरा शुल्क अलग।
*पहुँच*: भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से 15 किमी, टैक्सी/ऑटो से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
यह परिवार, बच्चों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है।
7.भुवनेश्वर,
उड़ीसा की राजधानी, अपनी प्राचीन संस्कृति, मंदिरों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ घूमने लायक कुछ प्रमुख जगहें हैं:
1. *लिंगराज मंदिर*
- 11वीं सदी का यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भुवनेश्वर का सबसे प्रसिद्ध स्थल है।
इसकी स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व इसे अवश्य देखने योग्य बनाते हैं।
2. *उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ*
- ये प्राचीन जैन गुफाएँ 1वीं-2री शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। उदयगिरि में 18 गुफाएँ और खंडगिरि में 15 गुफाएँ हैं,
जो जैन मुनियों के निवास और ध्यान स्थल के रूप में बनाई गई थीं।
3. *धौली शांति स्तूप*
- धौली पहाड़ी पर स्थित यह बौद्ध स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था।
यह शांति और समरसता का प्रतीक है। यहाँ से दया नदी का दृश्य भी मनमोहक है।
4. *नंदनकानन चिड़ियाघर और बोटैनिकल गार्डन*
- यह एक प्रसिद्ध चिड़ियाघर है, जो सफेद बाघों के लिए जाना जाता है। यहाँ बोटैनिकल गार्डन, बोटिंग और टॉय ट्रेन भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
5. *मुक्तेश्वर मंदिर*
- 10वीं सदी का यह मंदिर अपनी नक्काशी और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसे "ओडिशा का रत्न" भी कहा जाता है।
6. *राजारानी मंदिर*
- यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और बिना किसी देवता के लिए बनाए जाने के कारण प्रसिद्ध है।
इसे "प्रेम का मंदिर" भी कहते हैं।
7. *ओडिशा स्टेट म्यूजियम*
- यहाँ आप ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन मूर्तियाँ, हस्तशिल्प और पुरातात्विक संग्रह देख सकते हैं।
8. *बिंदु सागर झील*
- लिंगराज मंदिर के पास स्थित यह झील शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है।
यहाँ सूर्यास्त का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।
9. *एकमरा हाट*
- स्थानीय हस्तशिल्प, कपड़े और स्मृति चिन्ह खरीदने के लिए यह एक शानदार जगह है।
यहाँ ओडिशा की संस्कृति का अनुभव भी मिलता है।
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सुव्यवस्थित और आध्यात्मिक सेवाएं प्रदान करता है।
1..जगन्नाथ पुरी धाम,
भारत के उड़ीसा (ओडिशा) राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जो चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, और पुरी)
में से एक है। यह भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी ऐतिहासिक,
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।प्रमुख विशेषताएं:जगन्नाथ मंदिर:12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा
अनंतवर्मन चोडगंग द्वारा निर्मित।
मंदिर की वास्तुकला कalinga शैली की है, जिसमें 65 मीटर ऊंचा शिखर (नीलचक्र) है।
मंदिर में तीन मुख्य देवताएं—जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा—लकड़ी की मूर्तियों के रूप में पूजी जाती हैं,
जो हर 12-19 वर्ष में नवकलेवर
(नई मूर्ति निर्माण) के दौरान बदली जाती हैं।
गैर-हिंदुओं और विदेशियों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है,
लेकिन वे बाहर से दर्शन कर सकते हैं।रथ यात्रा:जगन्नाथ पुरी की विश्व
प्रसिद्ध रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास में
आयोजित होती है।तीन विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र,
और सुभद्रा को मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
लाखों भक्त इस उत्सव में शामिल होते हैं,
और इसे भगवान के दर्शन का विशेष अवसर माना जाता है।
धार्मिक महत्व:पुरी को "मोक्षदायिनी नगरी" माना जाता है,
जहां दर्शन और तीर्थ यात्रा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।यह वैष्णव, शैव,
और शाक्त परंपराओं का संगम है।
आदि शंकराचार्य ने यहां गोवर्धन मठ की स्थापना की, जो चार मठों में से एक है।
सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व:पुरी समुद्र तट
(स्वर्ण रेखा बीच) के किनारे बसा है, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
यहां का प्रसाद, "महाप्रसाद," विशेष रूप से प्रसिद्ध है,
जिसे मंदिर की रसोई में तैयार किया जाता है।पुरी ओडिशा की सांस्कृतिक राजधानी भी है,
जहां कला, नृत्य (ओडिसी), और शिल्प फलते-फूलते हैं।
अन्य आकर्षण:गुंडिचा मंदिर: रथ यात्रा के दौरान भगवान का अस्थायी निवास।शंकराचार्य मठ:
आदि शंकराचार्य से संबंधित।सूर्य मंदिर, कोणार्क
पुरी से 35 किमी दूर, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।चिल्का झील: पास में स्थित, पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग।
रोचक तथ्य:जगन्नाथ मंदिर में झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है,
जो एक रहस्यमय घटना है।
मंदिर का नीलचक्र (शिखर पर चक्र) हर दिन बदला जाता है और इसे पवित्र माना जाता है।
भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां अधूरी दिखती हैं,
जिसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं।
2.कोणार्क सूर्य मंदिर
भारत के ओडिशा राज्य में पुरी जिले के कोणार्क में स्थित एक ऐतिहासिक
और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था
और इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसका डिज़ाइन एक विशाल रथ के रूप में है,
जो सूर्य भगवान के रथ का प्रतीक है।
प्रमुख विशेषताएँ:स्थापत्य शैली: मंदिर कलिंग स्थापत्य शैली का बेहतरीन नमूना है।
यह एक रथ के आकार में बना है,
जिसमें 12 जोड़ी विशाल पहिए और सात घोड़े (अब केवल कुछ ही शेष हैं) हैं,
जो सूर्य के रथ को खींचते हुए प्रतीत होते हैं।
नक्काशी और मूर्तिकला: मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी और मूर्तियाँ हैं
, जो हिंदू पौराणिक कथाओं, देवी-देवताओं,
नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार और कामुक दृश्यों को दर्शाती हैं।
ये नक्काशियाँ भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि को प्रदर्शित करती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की
पहली किरणें मंदिर के गर्भगृह को रोशन करती हैं।
पहिए सूर्य घड़ी के रूप में भी कार्य करते हैं, जो समय का सटीक मापन करते हैं।
वर्तमान स्थिति: मंदिर का मुख्य गर्भगृह आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त है,
और यह अब पूजा स्थल के रूप में उपयोग नहीं होता।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा है।
सांस्कृतिक महत्व: कोणार्क मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म में सूर्य
पूजा के महत्व को दर्शाता है।
यह पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
3.लिंगराज मंदिर
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है,
जो भगवान शिव को समर्पित है।
यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजवंश के राजा जजति केशरी द्वारा बनवाया गया था।
यह भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है।
प्रमुख विशेषताएँ:वास्तुकला: मंदिर कलिंग वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसका मुख्य गर्भगृह 180 फीट ऊँचा है, जिसमें शिवलिंग स्थापित है,
जिसे "लिंगराज" (शिव और विष्णु का संयुक्त रूप) माना जाता है।
मंदिर परिसर में लगभग 150 छोटे-बड़े मंदिर हैं।धार्मिक महत्व: यह मंदिर हिंदुओं, विशेषकर
शैव और वैष्णव संप्रदायों के लिए अत्यंत पवित्र है।
यहाँ भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा होती है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
महाशिवरात्रि: यहाँ का सबसे बड़ा उत्सव महाशिवरात्रि है,
जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।परिसर
मंदिर परिसर में भगवती मंदिर (पार्वती को समर्पित),
नट मंदिर, और एक बड़ा जलाशय (बिंदु सागर) शामिल है।
प्रवेश: गैर-हिंदुओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है,
लेकिन वे परिसर के बाहर से दर्शन कर सकते हैं
।स्थान:लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर के पुराने शहर में स्थित है।
यह रेल, सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
4.साक्षी गोपाल मंदिर
उड़ीसा (ओडिशा) के पुरी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है,
जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर पुरी से
लगभग 15 किमी और भुवनेश्वर से करीब 50 किमी दूर सत्यवादीपुर में है,
जिसे अब साक्षी गोपाल के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का नाम "साक्षी गोपाल" पड़ा क्योंकि भगवान गोपाल ने
यहाँ अपने भक्त की गवाही (साक्षी) दी थी। यहाँ भगवान गोपाल और राधा जी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
प्रमुख विशेषताएँ:पौराणिक कथा:कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण युवक ने
वृद्ध धनवान ब्राह्मण की तीर्थयात्रा में उनकी सेवा की।
प्रसन्न होकर वृद्ध ने वृंदावन के गोपाल मंदिर में अपनी पुत्री का विवाह
उस युवक से करने का वचन दिया। बाद में, वृद्ध के परिवार ने वचन तोड़ दिया।
युवक ने पंचायत में गोपाल जी को साक्षी बताया। भगवान गोपाल युवक
के विश्वास से प्रसन्न होकर वृंदावन से पैदल उड़ीसा के पुलअलसा तक आए।
गोपाल जी ने कहा कि वह नूपुरों की ध्वनि के साथ पीछे चलेंगे, लेकिन युवक को पीछे नहीं देखना था।
पुलअलसा में रेतीले रास्ते पर नूपुरों की आवाज बंद हुई,
और युवक ने पीछे देख लिया, जिससे गोपाल जी की मूर्ति वहीं स्थिर हो गई।
बाद में, पंचायत के सामने गोपाल जी ने गवाही दी,
और युवक का विवाह संपन्न हुआ।इसके बाद कटक के राजा ने इस विग्रह को
पुरी लाकर साक्षी गोपाल मंदिर में स्थापित किया।
मंदिर का महत्व:ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी की यात्रा तब तक अधूरी है,
जब तक श्रद्धालु साक्षी गोपाल मंदिर में दर्शन नहीं करते।
मंदिर के पास चंदन तालाब, राधाकुंड,
और श्यामकुंड जैसे सरोवर हैं, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं।मंदिर की संरचना
:मुख्य मंदिर में भगवान गोपाल की मूर्ति है,
और पास ही श्री राधिका जी का मंदिर है।मंदिर की इमारत सुंदर और मनोरम है,
जो भक्तों को आकर्षित करती है।
राधा जी की मूर्ति की कथा:एक कथा के अनुसार,
गोपाल जी को पुरी से 16 किमी दूर स्थापित करने
पर राधा जी उनसे दूर हो गईं।
राधा जी ने पुजारी की पुत्री लक्ष्मी के रूप में जन्म लिया।
बाद में, राधा की मूर्ति स्थापित हुई,
जिसमें लक्ष्मी की आत्मा समा गई, और मूर्ति का चेहरा लक्ष्मी जैसा हो गया।
5.*चंद्रभागा बीच*
(Chandrabhaga Beach) से हो सकता है, जो ओडिशा (उड़ीसा) के
पुरी जिले में कोणार्क के पास स्थित एक प्रसिद्ध समुद्र तट है।
यदि आप चंद्रभागा बीच के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे इसका विवरण दिया गया है।
अगर आप किसी अन्य विशिष्ट बीच के बारे में पूछ रहे हैं, तो कृपया और विवरण प्रदान करें।
### चंद्रभागा बीच, कोणार्क, ओडिशा के बारे में जानकारी:
1. *स्थान*:
- चंद्रभागा बीच कोणार्क सूर्य मंदिर से लगभग 3 किमी दूर और पुरी से करीब
35 किमी की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यह ओडिशा के सबसे खूबसूरत और शांत समुद्र तटों में से एक है।
- यह बीच अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सूर्योदय के मनोरम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
2. *महत्व*:
- *धार्मिक महत्व*: चंद्रभागा बीच का नाम चंद्रभागा नदी से लिया गया है, जो पास में बहती थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के पुत्र शांब ने सूर्य भगवान की पूजा यहीं की थी,
जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व बढ़ता है।
- *चंद्रभागा मेला*: हर साल माघ शुक्ल सप्तमी (फरवरी के आसपास) को यहां एक प्रसिद्ध मेला
आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु सूर्य भगवान को अर्घ्य देने और स्नान करने आते हैं।
- यह बीच कोणार्क सूर्य मंदिर, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, के निकट होने के कारण भी
पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
3. *विशेषताएं*:
- *प्राकृतिक सौंदर्य*: सुनहरी रेत, नीला समुद्र, और शांत वातावरण इस बीच को फोटोग्राफी
और आराम के लिए आदर्श बनाते हैं।
- *सूर्योदय*: चंद्रभागा बीच सूर्योदय के शानदार दृश्यों के लिए जाना जाता है,
जो इसे सुबह के समय पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है।
- *शांत वातावरण*: पुरी बीच की तुलना में यह कम भीड़भाड़ वाला है,
जिससे यह शांति पसंद करने वालों के लिए उपयुक्त है।
4. *करने योग्य गतिविधियां*:
- समुद्र तट पर टहलना, सूर्योदय देखना, और फोटोग्राफी।
- कोणार्क सूर्य मंदिर की यात्रा, जो पास में ही है।
- स्थानीय व्यंजनों का आनंद, जैसे समुद्री भोजन।
- मछुआरों की गतिविधियों को देखना और उनकी संस्कृति को समझना।
5. *यात्रा का समय*:
- चंद्रभागा बीच घूमने का सबसे अच्छा समय *अक्टूबर से मार्च* के बीच है,
जब मौसम सुहावना और ठंडा होता है। गर्मी (अप्रैल-जून) में तापमान अधिक हो सकता है,
और मानसून (जुलाई-सितंबर) में बारिश के कारण यात्रा असुविधाजनक हो सकती है।
6. *आसपास के आकर्षण*:
- *कोणार्क सूर्य मंदिर*: 13वीं सदी का यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- *पुरी जगन्नाथ मंदिर*: पुरी में स्थित यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- *रामचंडी मंदिर*: चंद्रभागा बीच के रास्ते में एक छोटा मंदिर।
- *ASI संग्रहालय, कोणार्क*: सूर्य मंदिर से संबंधित प्राचीन कलाकृतियों का संग्रह।
### नोट:
- चंद्रभागा बीच पर तैराकी के लिए सावधानी बरतें, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में तेज धाराएं हो सकती हैं।
- स्थानीय नियमों का पालन करें और समुद्र तट को साफ रखने में मदद करें।
6.नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क,
भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित भारत के प्रमुख चिड़ियाघरों में से एक है। यह 437 हेक्टेयर में फैला हुआ है और 1960 में स्थापित किया गया था। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे जंगल और कांजी झील के किनारे बसे होने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ 166 से अधिक प्रजातियों के 3500 से ज्यादा पशु-पक्षी हैं, जिनमें सफेद बाघ, बंगाल टाइगर, एशियाटिक शेर, भारतीय घड़ियाल और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं।
नंदनकानन दुनिया का एकमात्र चिड़ियाघर है जहाँ मेलानिस्टिक (काले) बाघ पाए जाते हैं। यहाँ एक सफारी (शेर और बाघ), एक्वेरियम, सरीसृप पार्क, और नौका विहार की सुविधा भी है। यह संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रमों, विशेष रूप से सफेद बाघ और घड़ियाल के लिए जाना जाता है। पार्क में बॉटनिकल गार्डन और बच्चों के लिए खेल क्षेत्र भी हैं।
*खुलने का समय*: सुबह 7:30 से शाम 5:30 (सर्दियों में 8:00 से 5:00), सोमवार बंद।
*टिकट*: वयस्कों के लिए ₹50-100, विदेशियों के लिए ₹400, कैमरा शुल्क अलग।
*पहुँच*: भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से 15 किमी, टैक्सी/ऑटो से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
यह परिवार, बच्चों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है।
7.भुवनेश्वर,
उड़ीसा की राजधानी, अपनी प्राचीन संस्कृति, मंदिरों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ घूमने लायक कुछ प्रमुख जगहें हैं:
1. *लिंगराज मंदिर*
- 11वीं सदी का यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भुवनेश्वर का सबसे प्रसिद्ध स्थल है।
इसकी स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व इसे अवश्य देखने योग्य बनाते हैं।
2. *उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ*
- ये प्राचीन जैन गुफाएँ 1वीं-2री शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। उदयगिरि में 18 गुफाएँ और खंडगिरि में 15 गुफाएँ हैं,
जो जैन मुनियों के निवास और ध्यान स्थल के रूप में बनाई गई थीं।
3. *धौली शांति स्तूप*
- धौली पहाड़ी पर स्थित यह बौद्ध स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था।
यह शांति और समरसता का प्रतीक है। यहाँ से दया नदी का दृश्य भी मनमोहक है।
4. *नंदनकानन चिड़ियाघर और बोटैनिकल गार्डन*
- यह एक प्रसिद्ध चिड़ियाघर है, जो सफेद बाघों के लिए जाना जाता है। यहाँ बोटैनिकल गार्डन, बोटिंग और टॉय ट्रेन भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
5. *मुक्तेश्वर मंदिर*
- 10वीं सदी का यह मंदिर अपनी नक्काशी और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसे "ओडिशा का रत्न" भी कहा जाता है।
6. *राजारानी मंदिर*
- यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और बिना किसी देवता के लिए बनाए जाने के कारण प्रसिद्ध है।
इसे "प्रेम का मंदिर" भी कहते हैं।
7. *ओडिशा स्टेट म्यूजियम*
- यहाँ आप ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन मूर्तियाँ, हस्तशिल्प और पुरातात्विक संग्रह देख सकते हैं।
8. *बिंदु सागर झील*
- लिंगराज मंदिर के पास स्थित यह झील शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है।
यहाँ सूर्यास्त का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।
9. *एकमरा हाट*
- स्थानीय हस्तशिल्प, कपड़े और स्मृति चिन्ह खरीदने के लिए यह एक शानदार जगह है।
यहाँ ओडिशा की संस्कृति का अनुभव भी मिलता है।
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यदि आप दूसरे यात्रा में जाना चाहते हैं है / इच्छूक है तो उसकी जानकारी आपको समिति को पूर्व देनी रहेगी।
7. यात्रा करते समय आपकी अपनी ऑरिजनल आई डी. कार्ड जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, व्होटर आई डी कार्ड आदि रखना अनिर्वाय है।
अगर आप अपनी ऑरिजन्ल आई डी. कार्ड नहीं रखते है, सफर के दौरान टी.टी.ई आपको फाईन कर सकता है, ट्रेन से बाहर उतार सकता है।
इसकी पूर्ण जवाबदारी आपकी रहेगी।
8 यात्रा में सीनियर सिटीजन को पहली प्राथमिक्ता दी जावेगी। चाहे वो ट्रेन हो, बस हो या होटल / धर्मशाला हो ।
9. अ) 3 से 8 वर्ष की उम्र में बच्चों का सहयोग राशि 50% जो कुल राशि से देना होगा तथा शयन वर्थ आबंटित नहीं की जावेगी।
वरिष्ठ यात्रियों को पूर्ण सहयोग राशि देना होगा।
ब) 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों का आयु के प्रमाण पत्र के फोटो जमा करना अनिवार्य है अन्यथा पूरा टिकट लगेगा।
10. जिस यात्री का आरक्षण होगा वही यात्री यात्रा कर सकता है। उसके स्थान पर कोई भी दूसरा व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकता यात्रा पूर्णतः पूर्व निर्धारित रहेगी 1.
यात्रा के दौरान मांस, मंदिरा, धूम्रपान का सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उपरोक्त वस्तुओं का सेवन करते पाये जाने पर आपकी यात्रा वहीं निरस्त कर दी जावेगी।
12. सभी यात्री अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा जान माल की हिफाजत के लिये स्वयं जिम्मेदार रहेंगे, यात्रा के दौरान किसी भी तरह की आकस्मिक
दुर्घटना या नुकसान के लिए समिति जिम्मेदार नहीं होगी।
13. अपरिहार्य कारणों से यात्रा कार्यक्रम में परिवर्तन किया जा सकता है। उसमें आपको सहयोग प्रदान करना रहेगा।
14. टी बी शुगर ब्लडप्रेशर हदय रोग या अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अकेले सफर न करें। साधारणत, अपनी दवाईयों साथ रखें।
बीच में किसी भी प्रकार कि (स्वास्थ्य सबंधी) समस्या आने पर समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी इसके लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।
यात्रा में सम्मिलित होने के पूर्व स्वास्थ्य संबंधी चेकअप डॉक्टर से अवश्य करा लेवें ये आपकी स्वंय की जवाबदारी रहेगी।
15. 60 से अधिक आयु के यात्री के साथ पारिवारिक यात्री सदस्य का होना अनिवार्य है। यात्रा करते समय आप चाहे तो यात्रा बीमा करवा सकते है।
उसकी राशि आपको स्वंय को वहन करनी होगी।
16. किसी भी प्रकार की विवादपूर्ण परिस्थितियों में हमें आप का सहयोग चाहिये और जो निर्णय समिति लेगी वह अंतिम व सर्वमान्य होगा।
17. समिति द्वारा दी गई समय सारिणी के 1 घंटा पूर्व आपको रेल्वे स्टेशन में उपलब्ध रहकर अपनी उपस्थिति अपने कोच प्रभारी को देना होगा।
अन्यथा समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगीं यदि स्टेशन से ट्रेन छूट जाती है, तो अगले स्टेशन में यात्री अपने सुविधानुसार यात्रा में शामिल हो सकता है।
यदि ऐसा नहीं हो सकता है लो समिति इसकी जिम्मेदार नहीं रहेगी। 18. यह ट्रेन आपकी है कृपया करके हमें सहयोग प्रदान करें। आप जो
समिति का राशि दे रहें है। उसके एवज में आपको ट्रेन भोजन की व्यवस्था बस की व्यवस्था व आपकी
सेवा समिति दे रहीं है कृपया करके आप भी हमें सहयोग प्रदान करें। 19. यात्रियों से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान शांति सौहाद्रपूर्ण एवं भक्तिमय,
भाई चारा वातावरण निर्मित कर यात्रा करें। जिससे यात्रा आनंदमय हो और आप आनंदित रहे।
20 रेल्वे प्रबंधन द्वारा हमारी समिति को 2 घंटे पूर्व ही यात्रा ट्रेन हमें प्रदान करती है जिससे हमारे समिति को ट्रेन में बिजली व पंखें पानी की स्थिति से हमें अनभिज्ञ रहते हैं
अतः यात्रा के दौरान कोई समस्या आती है तो कृपया संयम से काम लेवें इसमें समिति की किसी प्रकार की गलती नहीं रहती।
आपका समस्या का समाधान जल्द समिति द्वारा पूर्ण प्रयास किया जायेगा।
21. सभी श्रद्धालुओं को ट्रेन में बैठने के पश्चात् ही चाय नाश्ते की व्यवस्था करायी जावेगी।
22. यात्रा के दौरान ट्रेन में वैष्णव भोजन की व्यवस्था रहती है।
23. सभी यात्री को बैच रखना अनिवार्य है बैच गुमने पर संस्था से 200 रुपयें दूसरा बैच बनवा लें।
अन्यथा चेकिंग के दौरान बैच नहीं मिलने पर 300 रुपये समिति द्वारा
जुर्माना लिया जावेगा।
24. सभी भक्तजनों को हमारी समिति द्वारा सूचित किया जाता है कि भगवान के दर्शन के समय पूरा ध्यान केवल भगवान के श्री विग्रह (मूर्ति) पर ही लगायें।
जिससे दर्शन हो इसमें समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी।
25. श्री केदार तीर्थ यात्रा सेवा समिति कोरबा जानकारी हमें विज्ञापन व इष्ट मित्रों परिवार के सदस्य अन्य व्यक्ति के माध्यम से प्राप्त हुआ है,
अन्य यात्रा सेवा समिति इसमें किसी भी प्रकार से दावा आपत्ति नहीं कर सकती है।
26. यदि किसी भी यात्री द्वारा चेन पुलिंग किया जाता है तो आर'पी' एफ' द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही उस यात्री पर करता है तो उसमें
समिति की जवाबदारी नहीं रहेगी कृपया करके इन सावधानियों को ध्यान देवें।
27. समिति 2 या 3 कि. मी. की दूरी के धर्मशाला या मंदिर में रहनें पर वाहनों की व्यवस्था नहीं करेगी। आप अपने स्वयं की व्यवस्था से
मंदिर दर्शन करेंगे व स्टेशन धर्मशाला पहुंचेंगे। समिति के सदस्य मंदिर तक आपके साथ में रहेंगे।
28. समिति ट्रेन व स्टेशनों (तीर्थ स्थलों) को बदल सकती है किसी भी कारण वश आप उसके लिये दावा आपत्ति नहीं कर सकतें ।
29. समिति द्वारा आप सभी भक्तजनों को मंदिर द्वारा या तीर्थ स्थल तक ले जाया जावेगा। किसी कारणवश कोई भक्तजन दशर्न से वंचित रहते है तो
समिति इसके लिये जवाबदार नहीं रहेगी !
30. यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा, रोड का बंद हो जाना, ट्रेन कैसिल, राजनितिक व प्रसाशनिक कारणों से यात्रा अवरूध हो जाती है
उस परिस्थिती में यात्रीगण अपने होटल, लॉज और खाने में जो व्यय होगा उन्हे स्वयं करना होगा। यात्रा की अवधि या ट्रेन कैंसल की स्थिति में
अतिरिक्त राशि आप से ली जा सकती है। जब यह समस्या निर्मीत होगी ।
31. समिति स्पेशल ट्रेन / कोच के लिये रेलवे में आवेदन करती है। परन्तु किसी कारण वश रेलवे स्पेशल ट्रेन / कोच उपलब्ध नही करापाती है तो उस स्थिति अनुसार आपको रिजर्वेशन कोच में यात्रा करनी रहेगी। आप सहमति पर ही बुकिंग करायें ।
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